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छोड़ दी शराब....

रँग है बसंती तो रूप है गुलाब। देख लिया तुझको तो छोड़ दी शराब॥ पीला सा बस्ता ले सरसों के फूल , जाते हैं पढ़ने को अपने स्कूल , अनपढ़ भी बैठे है खोल कर किताब। देख लिया..... आपस में बतियाते पीपल के पात , खूब रात रानी के सँग कटी रात , सुनकर ये चम्पा पर आया शबाब। देख लिया...... गदराये गैंदे और सूरज मुखी , वासंती मौसम में सब हैं दुखी , हरियाली पतझड़ से ले रही हिसाब। देख लिया.......