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राजसी काव्यपाठ, उदयपुर

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25 मार्च 2021 का दिन मेरे जीवन में ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण बनकर आया। अपने बी.ए.एम.एस.के अध्ययन के दौरान उदयपुर महल की दीवारों को जगदीश चौक से गुलाब बाग की तरफ जाते वक्त जिस हसरत से देखा करता था उसका वर्णन इस समय मेरे बस में नहीं है, उस समय मेरे पास इतने पैसे भी नहीं हुआ करते थे कि इतनी मंहगी टिकिट लेकर अंदर प्रवेश कर उसे देख सकूं। लेकिन कहा जाता है भगवान सबकी हसरत पूरी करते हैं। अध्ययन समाप्त हुआ, 3 वर्ष राजस्थान में सर्विस भी की। कविता करने का शौक पहले ही लग ही चुका था। देश विदेश में खूब कविसम्मेलन करते हुए 38 वर्ष गुज़र गए। अब आकर वो हसरत पूरी हुई। प्रिय भाई शैलेश लोढ़ा का फोन आया कि 25 मार्च को उदयपुर में मेवाड़ के महाराजा साहब तुम्हारी कविता सुनना चाहते हैं, तुम्हारे साथ एक शायर शकील आज़मी भी रहेंगे,...चले जाना। कानों को विश्वास नहीं हुआ। खैर, 25 मार्च को उदयपुर के एयरपोर्ट पर बाकायदा रिसीव करके उनके अपने ही होटल शिव विलास पैलेस में पूरी शानोशौकत के साथ ठहराया गया। पूरे ठाठ बाट के साथ शाम को साढ़े सात बजे हमको राजा साहब के आवास में प्रवेश कराया गया। चारों तरफ मेवाड़ के पूर्ववर्ती राजाओं

गोला में एकल काव्यपाठ

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यूँ तो अनेक बार एकल काव्य पाठ करके आत्म विश्वास दृढ़ हुआ है। लेकिन इस बार का काव्य पाठ समय अधिक होंने के कारण अविस्मरणीय हो गया। गोलागोकर्णनाथ में विधायक श्री अरविंद गिरि के निर्देशन में श्री विजय चौहान तथा श्री गोपाल जी के संयोजन में 1घण्टा 50 मिनिट का नॉन स्टॉप काव्यपाठ करके एक अद्भुत अनुभव मिला।कोई बात चीत नही, न कोई संस्मरण,न कोई लतीफा। गीत ,गीत और केवल गीत। गीत को मान देने वाले श्रोताओं का ही जमावड़ा देखकर प्रसन्नता हुई। सभी स्थानीय साहित्यकार कवियों ने मेरा फूल मालाओं से स्वागत किया। कुछ मुक्तक और 12-13 गीत सुनाने के बाद भी श्रोता प्यासे ही रहे। यही गीत की विजय है। अगर मुझे शाहजहांपुर से ट्रेन न पकड़नी होती तो ये महफिल कुछ देर और भी जमती। इन दिनों मंचों पर गीतों को जिस तरह सुना जाने लगा है, ऐसा लगता है कि शायद गीत की ससम्मान वापसी हो रही है।