Posts

Showing posts from May, 2021

अच्छा कहें कैसे

Image
घर मे कोई खुशी की बात हो तो पार्टी में  मुर्गा और शराब, और अगर कोई ग़म की बात तो उस ग़म को भुलाने के लिए मुर्गा और शराब की पार्टी। मतलब ये कि मुर्गे को तो हर हाल में हलाल होना ही है। आज देश में इंसान की हालत मुर्गे जैसी ही हो गयी है। कहीं शादी में खुशी में चलाई गई बंदूक की गोली से भी लाशें गिर जाती हैं तो कहीं चुनाव में जीतने की खुशी में दंगा फसाद कर लाशें बिछा दी जाती हैं। इन दिनों हमारे देश महामारी की वजह से लाशों की वैसे भी कमी नहीं थी फिर बेवजह दंगा फसाद और आगजनी करके इंसानियत की फसल को क्यों पलीता लगा दिया बंगाल ने। कहा जाता है जीत, प्रसिद्धि और धन की ऊष्मा को पचाना बहुत मुश्किल होता है जिसने इसे पचा लिया समझो इंसान से भी ऊपर देवता हो गया। अब तो बंगाल की धरती के किसान को अपनी खड़ी लहलहाती फसल को देखकर खुश होना चाहिए उसकी रक्षा करनी चाहिए, जिससे पूरे देश और परिवेश में ये संदेश जाए कि यह धरती आज भी विवेकानंद और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की धरती है। कोरोना के आने वाले खतरे से सूबे को बचाने का यत्न करना चाहिए। कहीं अस्पतालों में बेड, दवाइयां, इंजेक्शन या ऑक्सीजन की ऐसी किल्लत न हो जाये जै

आओ बच्चों से ही सीख लें

Image
आइए, बच्चों से ही कुछ सीखें...🧑‍🦱🧑‍🤝‍🧑🤗 उदाहरण-1 गाज़ियाबाद निवासी श्री कृष्ण मित्र जी का प्रपोत्र अगस्त्य उम्र 5 वर्ष। कोरोना की दूसरी लहर में 10 दिन पूर्व उसके पापा पॉजिटिव होगये। वो जिस दिन से घर के एक कमरे में आइसोलेट हुए तो अपने पिता का लाडला होते हुये भी खुद अपने पिता से दूर-दूर रहा, मिलने तक नहीं गया। कुछ दिन बाद उसकी मम्मी भी पॉजिटिव हो गयी तो वह स्वतः ग्राउंड फ्लोर पर अपने दादा दादी के पास सोने लगा। पिछले 3 दिन से श्री कृष्णमित्र जी सपत्नीक पॉजिटिव हुए तो दिन भर उनके कमरे में रहने वाले अगस्त्य ने उनके कमरे से भी मुँह मोड़ लिया। ये सब किसी ने उसे कुछ बताया नहीं स्वयं ही घर मे होने वाली चर्चाओं को अपने अबोध मन में बिठाता रहा। परसों जब उसके दादा उसके परदादा श्री कृष्णमित्र जी के कमरे में उनका हाल जानने चले गये तो उसने अपनी दादी को साफ शब्दों में कह दिया-दादी, दादू बड़े दादू के कमरे में चले गए हैं उनको कोरोना है, अब वो आपके कमरे में आएंगे तो मैं अब आपके कमरे में नहीं आऊंगा। ये कहकर वह पिछले दो दिन से घर के कुक्स (रसोइयों) के साथ ही रह रहा है उन्ही के पास सो रहा है। उदाहरण-2 मेर

रंग भरना जानता हूँ

Image
चुनाव भी हो चुके, परिणाम भी आ चुके, हार जीत भी हो चुकी, जिन्हें आंसू मिले उनके प्रति संवेदनाएं और जिनको मुस्कानें नसीब हुईं उन्हें बधाइयां। अब तो कोई काम नहीं हैं हमारे सिस्टम पर? अगर थकान उतारने का बहाने से सोने जा रहे हो तो कृपया अब रहम खाओ। अब इस उजड़ते हुए गुलशन की तरफ भी देख लो, जहां न जाने कितनी कलियों और फूलों की पंखुरियाँ बेजान होकर इसकी सुंदरता को कुरूप कर रही हैं। इन पौधों की जड़ों में सहानुभूति के पानी की ज़रूरत है, इन्हें जीवन दायी दवाइयों जैसी खाद की सख्त ज़रूरत है, इनके लिए शुद्ध वायु के रूप में ऑक्सीजन की बहुत आवश्यकता है। आइए, सख्त चाबुक चला दीजिये उनकी पीठ पर जो इस उपवन की सुंदरता को खराब करना चाहते हैं, सबक सिखा दीजिये उन सभी लोगों को जिन्होंने आपदा को अवसर में बदलने के गलत मायने निकाल कर मानवता को शर्म सार कर दिया है।  बुरा मत मानिए शिकायत बगीचे के माली से ही की जाएगी। हृदय की तकलीफ को वर्तमान से ही कहा जा सकता है, अतीत से नहीं। अब सारी मिथ्या ज़िम्मेदारियों से मुक्त होकर इंसानियत को बचाना आपका पहला धर्म है। अगर ये बची रही तो रंग बिरंगे फूलों के इस उपवन का माली होने पर आप

मज़दूर दिवस

Image
कोरोना काल की पहली परेशान करने वाली लहर रही हो या दूसरी झकझोर देने वाली लहर , सबसे अधिक प्रभावित हुआ है तो सिर्फ मजदूर, रोज कुआं खोद कर पानी पीने वाला, रोज मेहनत करके खाने वाला, रोज पसीने से नहाने वाला वो मजदूर जिसके श्रम से हमारी ऊंची ऊंची अट्टालिकाएं खड़ी हैं जिनमे बैठकर हम ऐसी में अपना पसीना सुखाते हैं। इन मजदूर वीरों को न किसी से कोई स्पर्धा है न किसी से आगे निकलने की लालसा। न कोई चिंता और न ही ललक, फिक्र है तो बस इस बात की कोई सुबह ऐसी न आये जिस दिन उसे खाली बैठना पड़े। मजदूर का बेटा अपने पिता को जब मेहनत करते हुए देखता है तो वो उतनी ही मेहनत करता है चाहे वो शारीरिक श्रम हो या मानसिक श्रम। हज़ारों में एक कोई अगर पढ़ लिख कर नोकरी भी करेगा तो वहां भी पूरी ईमानदारी होगी और पूरा श्रम होगा। आज 1 मई है अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस। उन सभी श्रमिकों के स्वेद को नमन करता हुआ एक गीत..  #InternationalLabourDay #मजदूर_दिवस #विष्णुलोक