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वासंती मौसम भी पतझड़ से हो गये

आँखों में पाले तो पलकें भिगो गये। वासंती मौसम भी पतझड़ से हो गये॥ बीते क्षण बीते पल जीत और हार में , बीत गयी उम्र सब झूठे सत्कार में , भोर और संध्या सब करवट ले सो गये। आखों... जीवन की वंशी में साँसों का राग है , कदमों में काँटे हैं हाथों में आग है , अपनों की भीड़ में सपने भी खो गये। आँखों .... रीता है पनघट रीती हर आँख है , मुरझाये फूलों की टूटी हर पाँख है , आँधियों को देख कर उपवन भी रो गये। आँखों... कितना अजीब फूल काँटे का मेल , जीवन है गुड्डे और गुड़्यों का खेल , पथरीले मानव को तिनके भिगो गये। आँखों ...

कभी हम खो गये.............

कभी हम खो गये कभी तुम खो गये। दासतां कहते सुनते ही हम सो गये। नील नभ को सजाया तुम्हारे लिये , इंद्रधनु माँग लाया तुम्हारे लिये , भूल जाओ तिमिर में न तुम राह को नेह दीपक जलाया तुम्हारे लिये , रोशनी में मगर तुम तो गुम हो गये। कभी...... मैंने देखा है सूरज निकलते हुये शाम कि वक्त चुपचाप ढलते हुये , रूप का गर्व है आपको किसलिये क्या न देखा कभी हिम पिघलते हुये , फूल की चाह थी शूल क्यों बो गये। कभी...... मैंने देखे हैं पत्थर पिघलते हुये शीत जल में से शोले निकलते हुये , तुम न बदलोगी ये कैसे विश्वास हो क्या न देखा कभी हिम पिघलते हुये , सिसकियाँ तुमने लीं और हम रो गये। कभी......

रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा.......

रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा , एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं। तुमने पत्थर सा दिल हमको कह तो दिया पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नहीं। मैं तो पतझर था फिर क्यूँ निमंत्रण दिया ऋतु बसंती को तन पर लपेटे हुये , आस मन में लिये प्यास तन में लिये कब शरद आयी पल्लू समेटे हुये , तुमने फेरीं निगाहें अँधेरा हुआ , ऐसा लगता है सूरज उगेगा नहीं। मैं तो होली मना लूँगा सच मानिये तुम दिवाली बनोगी ये आभास दो , मैं तुम्हें सौंप दूँगा तुम्हारी धरा तुम मुझे मेरे पँखों को आकाश दो , उँगलियों पर दुपट्टा लपेटो न तुम , यूँ करोगे तो दिल चुप रहेगा नहीं। आँख खोली तो तुम रुक्मिणी सी लगी बन्द की आँख तो राधिका तुम लगीं , जब भी सोचा तुम्हें शांत एकांत में मीरा बाई सी एक साधिका तुम लगी, कृष्ण की बाँसुरी पर भरोसा रखो , मन कहीं भी रहे पर डिगेगा नहीं।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर-- कलाई गुनगुनाती है.......

दिल के बगीचे से महक रिश्तों की आती है। सावन लगते ही कलाई गुनगुनाती है॥ माँ का आँचल मुझे देश हित भक्ति सिखाता हरदम , बापू का आशीष युद्ध में शक्ति दिलाता हरदम , सीमाओं की रक्षा करते प्राण निछावर कर दूँ , बहना की राखी का धागा यही बताता हरदम , शायद याद कर रही होगी , हिचकी आती है॥ दिल........... रो मत बहना जंग खत्म होते ही आ जाऊँगा , तुझे बिठा कर झूले में मैं मल्हारें गाऊँगा , आसमान के तारे सारे करूँ निछावर तुझ पर चन्दा की डोली में साजन के घर भिजवाऊँगा , जा , हँस कर के घर के अन्दर , माँ बुलाती है॥ दिल............ मेरी कागज़ की कश्ती को पानी पर तैराना , मेरे बस्ते को भी अपने कंधे पर लटकाना , छीन-छीन कर मेरी टाफी बिस्किट भी खा जाना , मेरी गलती होने पर भी माँ से खुद पिट जाना , यादों की तितली हाथों को छू , उड जाती है॥ दिल.............. सरहद पर दुश्मन के खूँ से होली मन जाती है , बम की आवाज़ें अपने संग दीवाली लाती है , अपने सब त्योहार यहाँ पर यूँ ही मन जाते हैं पर रक्षाबन्धन पर तेरी याद बहुत आती है , आँखों के सागर की गागर छलछलाती है॥ दि

मन हल्का कर डाला.....

एक तुम्हारे फोन ने मेरा भारी मन हल्का कर डाला। दर्द जमाये जड बैठा था एक छुअन ने सब हर डाला॥ अनहोनी ना दस्तक दे दे कदम-कदम पर डर लगता था , घर में सब रहते थे फिर भी सूना सूना घर लगता था , सुख का अपना घर होता है , उसको भी कर बेघर डाला। दर्द जमाये जड बैठा था एक छुअन ने सब हर डाला॥ एक स्वाद के लिये जनम भर अपनी भूख सहेजी मैंने , तृप्ति मिलेगी इसीलिये बस प्यास की पाती भेजी मैंने , दर्द जमाये जड बैठा था एक छुअन ने सब हर डाला॥ बिना विचारे दिल पर प्रेम का लिख ये ढाई आखर डाला। आँखों के इस कोप भवन में रेगिस्तान है सपनों का , इन उधार की नींदों में बस एक भरोसा अपनों का , छलक रहे क्यों इन नयनों में , इतना गंगा जल भर डाला। दर्द जमाये जड बैठा था एक छुअन ने सब हर डाला॥