Posts

Showing posts from November, 2017

गीत-अपनाना हो तो अपनालो...

मेरे अंदर खोट बहुत है अपनाना हो तो अपनालो, दिल का मंदिर सूना सूना आ जाओ एक दीप जला लो। सच कहता हूँ जीवन भर मैं सुर लय ताल समझ ना पाया, जितना जैसा समझ सका हूँ वैसा ही इस कंठ से गाया, गीत और सुन्दर हो जाये मेरे सुर से साज मिला लो।.... मेरी थकन देख कर मंज़िल खुद चलकर के पास आगयी भरी दुपहरी में भी ठंडक यही धूप की अदा भा गयी पथरीली है डगर तुम्हारी गिर ना जाऊँ मुझे सम्हालो।.... कोई कहे मुझको आवारा कोई कहे मुझको मनमौजी पर नादान रहा जीवन भर घूम घूम कस्तूरी खोजी, फिर इस जग में खो ना जाऊँ अपने अंदर मुझे छुपालो।.....

रंगों का गीत

रंग बिरंगे इस जीवन में कुछ रंग फीके-कुछ रंग गहरे। कुछ रंग आवारा बादल से कुछ रंगों पर बैठे पहरे। बचपन में भोलेपन का रंग यौवन में जोशीले रंग थे, प्रौढ़ हुए बेबस रंग छलके रंग बुढ़ापे में बेढंग थे, कुछ रंगों ने आँखे खोलीं कुछ रंगों से हो गए बहरे। कुछ रंग आवारा बादल से कुछ रंगों पर बैठे पहरे। किस्मत ने मेरे आँगन में रंग-रंग के रंग दिखाये, कुछ रंगों ने आँख तरेरी कुछ रंगों ने अंग सजाए, कुछ रंगों ने जल्दी कर दी कुछ रंग अंत समय तक ठहरे। कुछ रंग आवारा बादल से कुछ रंगों पर बैठे पहरे। कर्म भूमि की इस दुनियाँ में श्रम तो सबको करना होगा, प्रभु तो सिर्फ लकीरें देता रंग हमें ही भरना होगा, जीवन के रूठे पन्नों में भरने होंगे रंग सुनहरे। कुछ रंग आवारा बादल से कुछ रंगों पर बैठे पहरे।

दीवारें ढहने दो...

दम घुटता हो बीच में जिनके वो सब दीवारे ढहने दो। ना मेने कोई ध्यान लगाया और न कोई करी तपस्या। इसी लिए जीवन मे सारे समाधान बन गए समस्या मन की मन में रह ना जाये इसीलिए वो सब कहने दो। धूप न निकली, कोहरा छाया तापमान में कमी हुयी है। पास से देखो इस पर्वत पर बर्फ प्यार की जमी हुयी है। छूने भर से पिघल के दरिया बन बहता है तो बहने दो।   सुन कर मृग आ जाएँ ऐसी मीठी मेरी तान नही है। सब आसानी से मिल जाये ये किस्मत धनवान नही है। हो जाऊं मैं धनी गले में तुम इन बाहों के गहने दो

नारी समर्थित गीत

ज़िन्दगी बिन तुम्हारे कहाँ ज़िन्दगी, खुशनुमा ज़िन्दगी की तुम्ही आस हो। मेरा दिल हो तुम्ही उसकी धड़कन तुम्ही जिस्म में आती जाती हुई श्वास हो। अब न मंदिर न मस्जिद सुहाता मुझे पास तुम हो तो प्रभु की ज़रूरत नहीँ, बस तुम्हे देखकर काम सब हों शुरू तुमसे अच्छा है कोई महूरत नहीँ, बिन तुम्हारे मैं जग देख पाता न माँ हर समय तुम मेरे आस ही पास हो। ज़िन्दगी...... तुम न होतीं तो बचपन था सूना मेरा अपनी राखी से भर दी कलाई मेरी, माँ न डांटे मुझे फिर किसी बात ।।पर तुमने शैतानी हर इक छुपायी मेरी, मेरी हमराज़ हो दोस्त हो तुम बहन नर्म भावों भरा एक अहसास हो। ज़िन्दगी....... मेरी नन्ही परी मेरे जीवन में तुम प्यार का, मुस्कुराहट का इक पर्व हो, मेरी हर मान्यता को निभाती हुई मेरी लाडो मेरा मान हो, गर्व हो, तुम दिवाली की एक रौशनी हो सुता और होली के रंगों का उल्लास हो। ज़िन्दगी....... सारे नाते जगत के हैं अपनी जगह पर तुम्हारी जगह ले न पाया कोई, स्वर मधुर ही निकलता है इस साज़ से प्यार के सुर में जब गीत गाया कोई, रास हो, ख़ास हो, मेरे विश्वास हो मेरी अर्धांगिनी तुम मेरी प्यास हो। ज़िन्दगी.......

प्रेरक गीत-2

मत घबरा तुझमें और मंज़िल में थोड़ी सी दूरी है। चाहे जितना भी मुश्किल हो पहला कदम ज़रूरी है। सूरज को मत देख घूर,कर, तुझको अंधा कर देगा, तेरे जीवन मे पूनम की जगह अमावस धर देगा, क्यो भटका फिरता जब तेरे पास  एक कस्तूरी है। चाहे..... तट पर बैठे-बैठे तेरे हाथ कहाँ कुछ आएगा, रत्न मिलेंगे तुझको जब सागर के तह में जायेगा, कुछ ना आया हाथ समझना डुबकी अभी अधूरी है। चाहे..... घने तिमिर के जंगल से इक दिया अकेला जूझ रहा, और उजाले में भी तू चलने का रस्ता बूझ रहा, हिम्मत से बढ़ता जा प्यारे सुबह बहुत सिंदूरी है। चाहे..... पकड़ के उंगली जो हमको पैरों चलना सिखलाते हैं, उनको हम मुश्किल राहों पर इकलौता कर जाते हैं, फ़र्ज़, वफ़ा, रिश्ते भूले सब ये कैसी मजबूरी है। चाहे.....

एक गीत हताशा का

जिसको जीवन भर समझा था सपनों का इक घर खुली आँख तो पाया- टूटा फूटा सा खंडहर। घर के बिल्कुल पास समंदर खूब गरजता था, पर देहरी छूने का साहस कभी न करता था, ऊंची ऊंची लहरें फिर भी, नीची रही नज़र। आंख......... हर मुंडेर पर हमने गमले रखे करीने से, फूल खिलेंगे यही प्रतीक्षा कई महीने से, धूप- हवा-पानी सब कुछ था मिला मगर पतझर। आंख........... सोचा था एक प्यारी सी अब ग़ज़ल कहेंगे हम, पर मतला कहने भर में ही टूटे सभी वहम, जितने शेर हुए सबकी ही बिगड़ी हुई बहर। आंख........... कड़ी धूप में भाग भाग कर रातें काली कीं, तब जाकर के इस गुलशन को कुछ हरियाली दीं, हल्की सी आंधी ने सब कर डाला तितर-बितर। आंख.......

ग़ज़ल

हसीन ख्वाब लिये में उधर से निकला था। नज़र बचा वो बड़े ही हुनर से निकला था। जहान भर की नियामत लुटाई रब ने तभी क़लम को साथ लिए जब भी घर से निकला था वो बस सुलाता रहा चाँद और सितारों को उसे ख़बर नहीं सूरज किधर से निकला था वो जिसने खार मेरी राह में बिछाए थे मिले थे फूल उसे वो जिधर से निकला था। किसे फ़िकर कि कहाँ शाम हो गयी उसकी बड़ी उमीद से जो दोपहर से निकला था। यूँ उसकी पूरी ग़ज़ल ही दिखी मुकम्मल पर जो शेर अच्छा लगा वो बहर से निकला था तुझे पता था क़दम लड़खड़ा ही जाएँगे तो जानबूझ के क्यों उस शहर से निकला था

प्रेरक गीत-3

रातें कितनी ही लंबी हों फिर भी होगी भोर। छिपा हुआ है हर सन्नाटे में प्यारा सा शोर।। आँसू की जो नादिया तेरे पास बहाकर देख, इसमें मुस्कानों की तू इक नाव चला कर देख, बहते जाना बहते जाना पवन बहे जिस ओर। मत डर, आने दे पतझर को थोड़े दिन की बात, फिर तो फूलों के संग, बीतेगी जीवन भर रात, खुल के जी ले आज भगा दे मन में बैठा चोर। मंज़िल बहुत कठिन है फिर भी तू चलना मत छोड़, जीवन अंक गणित है ग़म को घटा,खुशी को जोड़, नफरत पर बरसा दे बादल प्यार भरे घनघोर। हर असफलता के पीछे इक सफल कहानी ढूंढ, मरुथल में भी मिल जाएगा तुझको पानी ढूंढ, हर मावस के पीछे नाचे पूनम का इक मोर।

प्रेरक गीत-1

लक्ष्य बिल्कुल सामने है और प्रत्यंचा तनी  है उड़ रही है एक चिड़िया आँख उसकी भेदनी है।। आँख का हर एक आँसू हर्ष का संकेत देता, बूंद बारिश की गिरे तो झट मरुस्थल सोख लेता, हर अंधेरे की तरफ से आ रही इक रोशनी है उड़ रही...... युद्ध मे अभिमन्यु बनकर मत लड़ाई ठानिये, व्यूह में घुसकर के कैसे है निकलना जानिए, जीतना है रण अगर तो ये कला भी सीखनी है उड़ रही...... तुम अगर चाहो तो मिट्टी को खरा सोना बना दो, रेत में भी तुम हुनर से दूध की नदियां बहा दो, इक नया इतिहास रच दो पास में जब लेखनी है उड़ रही...... आज क्यो रावण के आगे राम फिर खामोश हैं, क्यो समर में एक शक्ति से लखन बेहोश हैं, क्यों नहीं लाते पवन सुत प्राण हित संजीवनी है उड़ रही......

ऐ मेरे प्यारे हिन्द वतन (देश भक्ति गीत)

हर गीत तुझे अर्पित मेरा ऐ मेरे प्यारे हिन्द वतन। सांसे तेरी जीवन तेरा तुझ पर निसार यह तन मन धन।। वो वीर लड़ाकू सैनिक जो सीमा पर तन कर बैठे हैं। अपने दुश्मन को धूल चटा देंगे ये प्रण कर बैठे हैं। ऐ वीरो तुम बेफिक्र रहो अपने-अपने परिवारों से, हम सभी तुम्हारे घर जैसे हैं, घर के पहरेदारों से। तुम रखो सुरक्षित सीमाएँ हम रखें सुरक्षित यह आँगन.... संघर्षों से आज़ाद हुए मुश्किल से हमको मिला वतन, अक्षुण्य रहे इसकी संस्कृति अक्षुण्य रहे इसका यौवन, अपने हर इक संसाधन से हम नित्य प्रगति का मार्ग गढ़ें अपनी मेहनत-मेधा के दम पर उन्नति के सोपान चढ़ें, हमको स्वदेश की चीजों का जग में करना है विज्ञापन.... हर बेटी यहाँ बने शिक्षित हर नारी यहाँ सुरक्षित हो और एक-एक भारत का बालक संस्कारो से दक्षित हो, संकल्प करें इस देव भूमि पर कोई ना वृद्धाश्रम दीखे। हम इतने अच्छे बनें हमारी संस्कृति से दुनिया सीखे। हम जिसके रंग बिरंगे गुल वो अपना भारत है उपवन....

राखी गीत

दो बूंदे क्या बरसीं नभ से-डाल दिया यादों ने डेरा। रात, हाथ मे राखी ले ली-जाने कब हो गया सवेरा।। मैं छोटा तुमसे फिर भी तुम मुझसे बहस किया करतीं थीं, मुझे सता कर, मुझे चिढ़ा कर मेरी उम्र जिया करतीं थीं, लेकिन जब मैं थक जाता था, ले लतीं थीं बस्ता मेरा। रात,....... माँ ने जब भी मुझको मारा तुमने अपनी पीठ लगा ली, मुझको रोने दिया कभी ना आंखें अपनी कर लीं खाली, मुझे रोशनी दे डाली सब रख कर अपने पास अंधेरा। रात...... यादों के वो धान उगे जो कुंवर कलेवे पर बोए थे, जब तुम घर से विदा हुईं तो माँ से ज़्यादा हम रोये थे, गले लगा कर तुम भी बिलखीं जब करने आयीं पग फेरा। रात...... जग से जब से विदा हुईं तुम फीका-फीका लगता सावन, यूँ तो बहनें बहुत हैं फिर भी तुम बिन रीता मन का आंगन, मन करता है सभी लुटा दूँ जितना मेरे पास उजेरा। रात.......

सबसे अच्छा बचपन

बुरा बुढापा,भली जवानी लेकिन सबसे अच्छा बचपन निर्मल जल सा, साफ-साफ है इस बचपन के मन का आँगन। दिल चाहे जी भर दुलराए दिल चाहे झट चुम्बन ले ले निश्छल सा बचपन भी चाहे  वो सबकी बाहों में खेले, मन करता है इसे बना लें हम अपने जीवन का दरपन।..... वक्त बहुत बदला है फिर भी बच्चों की हठ बदल न पाई, पसरा झूठ हर तरफ फिर भी बचपन से लिपटी सच्चाई, झरता रहता हर मौसम में इनकी निश्छलता का सावन।..... हम लड़ जाएं तो ना देखें इक दूजे का मुँह जीवन भर, ये लड़ते, पिटते, रोते पर अगले ही पल मिलते हँसकर, दूर बहुत है झूठ-कपट-छल, इनमें ही बसते हैं भगवन।..... #kavivishnusaxena.com

बाल गीत

अंश प्रखर श्रेया और आर्यन सब मेरे घर आना, जन्म दिवस है मेरा देखो कोई भूल न जाना, चौकलेट केक मँगाया उस पर क्रिकेट टीम बनवाई, रंग-बिरंगे गब्बरों से हर दीवार सजाई , तरह-तरह के मास्क मँगाए उनको सभी लगाना.... खेलेंगे हम पासिंग पार्सल और म्यूज़िकल चेयर, थोड़ा-थोड़ा डान्स करेंगे थोड़ा सा एडवेंचर, केक काट कर फिर खाएँगे तरह-तरह का खाना.... देखो तुम सब प्यारे-प्यारे गिफ़्ट्स भले मत लाना, ख़ूब देर तक रुकने की पर परमीशन ले आना, पार्टी से जल्दी जाने का करना नहीं बहाना.... #kavivishnusaxena.com

बाल गीत

चॉकलेट मुझको मत दो रह जाऊंगा मैं बिन खाये, ऐसी कार दिला दो पापा जो चंदा के घर जाए। रंग बिरंगे स्टीकर्स लगा कर चारों ओर सजा दूंगा, अगर कोई रस्ते में आया झट से हॉर्न बजा दूंगा, उसको सैर कराऊँगा मैं जो भी मेरे संग आए। ऐसी कार... #kavivishnusaxena.com मंहगा है पेट्रोल न जाने किसकी कारिस्तानी से, मेरी गाड़ी ऐसी लाना जो चलती हो पानी से, ऐसी मत लाना जो रुक जाए, फिर धक्का लगवाए- ऐसी कार... स्टेयरिंग पर मैं बैठूँगा गाड़ी तेज़ भगाऊँगा, चाँद सितारों से मिलने मैं उनके घर तक जाऊँगा, सब बाधाएँ पार करूँगा पापा मैं बिन घबराए... ऐसी कार...

दीपावली गीत

बेबसी के तम घनेरे कब तलक हमको छलेंगे? ये अन्धेरे तब छटेंगे दीप बन जब हम जलेंगे। चाहता है हर कोई हमको फँसाना जाल में, कुछ न कुछ लगता है काला ज़िंदगी की दाल में, हर तरफ फन को उठाये नाग भी फुफकारते, भूलकर अपना पराया दंश केवल मारते, मोम हैं हम, किंतु इन साँचों में आख़िर क्यों ढलेंगे?....... आज हमको ही डराती हैं निजी परछाइयाँ, चैन से रहने हमें देती कहाँ तन्हाईयाँ, खत्म होता जा रहा,हर आँख से पानी यहाँ, अब यहाँ तक आगये हैं और जाएंगे कहाँ, सामने मंज़िल नहीं तो और अब कैसे चलेंगे?...... मत समझिए लघु किसी को इस वृहद संसार में, एक दीपक ही बहुत है इस घने अंधियार में, हर कोई जकड़ा हुआ है नफरतों के तार से, क्यों नहीं बन्धन सभी सब काटते है प्यार से, यत्न सच्चे हों अगर, मिलकर सभी फूले फलेंगे।..... #kavivishnusaxena.com