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Showing posts from April, 2021

कोरोना ने गीतों के हिमालय को निगल लिया

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सिकंदराराऊ- कोरोना के इस क्रूर काल ने इस बार हमारे साहित्य जगत को बहुत क्षति पहुँचाई है। उपन्यासकार नरेंद्र कोहली, गीतकार राजेन्द्र राजन सहित 15 छोटे बड़े कवियों को अपना ग्रास बनाने के बाद आज दोपहर हिंदी काव्य मंच के गीत शिरोमणि डा. कुंवर बेचैन जी को भी हमसे छीन लिया।श्री बेचैन जी नोएडा के कैलाश हॉस्पिटल में पिछले एक सप्ताह से कोरोना वायरस से लड़ रहे थे, एक बार को तो ऐसा लग रहा था कि जंग जीतकर घर आ जाएंगे लेकिन कल दोपहर बाद फिर से हालत बिगड़ी और वह हमें हमेशा के लिए बिलखता छोड़ गए। सिकंदराराऊ से मेरे कारण उनका एक रिश्ता से बन गया था। हमारे सरला नारायण ट्रस्ट के द्वारा आयोजित प्रथम समारोह में वह श्री बलराम श्रीवास्तव को सम्मान देने के सादर पधारे थे। उनके दिवंगत होने से मुझे व्यक्तिगत बहुत नुकसान हुआ है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सिर से आशीषों का हाथ चला गया हो। वो अक्सर कहा करते थे कि तुम्हारे रहते हुए हमें गीत की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। मैं अपनी ओर से तथा सरला नारायण ट्रस्ट की ओर से दुखी मन से डॉ.कुंवर बेचैन जी को अपनी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देता हूँ।

तीरगी दो चार दिन की है

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हर तरफ उदासियाँ ही उदासियाँ, अंधेरे ही अंधेरे। नकारात्मकता ने जैसे चारों ओर डेरा डाल दिया हो। हर सुबह सोशल मीडिया पर जाने में डर लगता है। बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों और कस्बों तक की आंखे रो रो रोकर रीती हो चली हैं। अपनों के खो जाने का जितना गम है उससे अधिक उन हैवानों की पैशाचिक प्रवृत्ति पर घृणा हो रही है जो ऐसे समय मे भी लाशों के ऊपर जश्न मना रहे हैं। अस्पतालों में डमी पेशेंट लिटा कर शो कर रहे हैं कि हमारे यहां कोई बेड खाली नहीं है। जिस मरीज को देख कर लगता है ये लाखों रुपया खर्च कर देगा उसको तुरंत सारी सुविधाएं मुहैया हो जाती हैं। इंजेक्शन की मुंह माँगी कीमत लेने पर नकली इंजेक्शन देने पर भी इनके अंदर की पशुता रोती नहीं है।...दानवो, समय एक जैसा नहीं रहता, हर रात के बाद सवेरा आएगा, हर अंधेरा रोशनी लेकर आता है, हर आंसू के पीछे मुस्कुराहट छिपी रहती है। समय  उनको कभी माफ नहीं करेगा जिन्होंने इस आपदा में मनुजता की खिल्ली उड़ाई है। इतिहास उन्हें याद करेगा जिन्होंने अपनी सामर्थ्य से अधिक एक दूसरे की मदद कर इंसानियत को बचा लिया है। अन्य मुद्दों को तो बाद में बैठ कर भी निपटा लिया जाएगा लेकिन इस

मंथरा मिल जाएगी/ कोरोना विशेष

आजकल हर सुबह बड़ी डरावनी होती जा रही है. लोग बेबस हैं. अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन सिलेंडर मिल जाना मानो वरदान से कम नहीं है. पूरा समाज भी एक हो गया है बस कुछ लोगों को छोड़कर जो इस समय में भी मुनाफा कमाने के लिए ईमान बेचे दे रहे हैं. सब एक दूसरे की मदद कर रहे हैं, जैसे भी हो पा रही है. काफी लोग ऐसी स्थिति में बेचैनी पैदा करने का काम कर रहे हैं. मैंने पहले भी कहा कि इस समय व्यवस्था को कोसना  व्यर्थ है क्योंकि यह व्यवस्था हम लोगों ने ही खड़ी की है. और इस आपदा में तो आपका देश क्या, कोई भी देश होता वो बिखर जाता.  समय है नागरिकों को अपने दायित्वों को समझना. एकजुट रहना. अफवाहें ना फैलाना. और हां, वैक्सीन मौका मिलते ही लगवा लीजिए. इस समय यही घिसी पिटी बातें समझाई जा सकती हैं. और आपको इन्हीं को सुनना है और इन्हीं का पालन करना है. अफवाहें और बेचैनी पैदा करने वाले हर ज़रिए को दूर रखिए चाहें वो कोई पत्रकार हो, नेता हो या आपका कोई दोस्त. तुरंत ब्लॉक मारिए. यह समय मेरी पार्टी और तेरी पार्टी करने का नहीं है. एक ही मकसद रखिए कि जैसे भी हो पाए मदद करना है और न कर पाएं तो अपने काम से काम रखिए और ईश्वर