कोरोना ने गीतों के हिमालय को निगल लिया

सिकंदराराऊ-
कोरोना के इस क्रूर काल ने इस बार हमारे साहित्य जगत को बहुत क्षति पहुँचाई है। उपन्यासकार नरेंद्र कोहली, गीतकार राजेन्द्र राजन सहित 15 छोटे बड़े कवियों को अपना ग्रास बनाने के बाद आज दोपहर हिंदी काव्य मंच के गीत शिरोमणि डा. कुंवर बेचैन जी को भी हमसे छीन लिया।श्री बेचैन जी नोएडा के कैलाश हॉस्पिटल में पिछले एक सप्ताह से कोरोना वायरस से लड़ रहे थे, एक बार को तो ऐसा लग रहा था कि जंग जीतकर घर आ जाएंगे लेकिन कल दोपहर बाद फिर से हालत बिगड़ी और वह हमें हमेशा के लिए बिलखता छोड़ गए। सिकंदराराऊ से मेरे कारण उनका एक रिश्ता से बन गया था। हमारे सरला नारायण ट्रस्ट के द्वारा आयोजित प्रथम समारोह में वह श्री बलराम श्रीवास्तव को सम्मान देने के सादर पधारे थे। उनके दिवंगत होने से मुझे व्यक्तिगत बहुत नुकसान हुआ है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सिर से आशीषों का हाथ चला गया हो। वो अक्सर कहा करते थे कि तुम्हारे रहते हुए हमें गीत की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। मैं अपनी ओर से तथा सरला नारायण ट्रस्ट की ओर से दुखी मन से डॉ.कुंवर बेचैन जी को अपनी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देता हूँ।

Comments

Popular posts from this blog

रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा.......

एक दीवाली यहाँ भी मना लीजिये........

गीत- वो बदले तो मजबूरी है.....