एक मुक्तक Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps December 18, 2019 रात माना है ज़रूरी, दोपहर भी है ज़रूरी , छांह जिसमें प्यार की हो, एक घर भी है ज़रूरी, राह मुश्किल है बहुत ये, कट न पाएगी अकेले- ज़िन्दगी के इस सफ़र में, हमसफ़र भी है ज़रूरी, -डॉ. विष्णु सक्सेना Read more