रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा.......
रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा , एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं। तुमने पत्थर सा दिल हमको कह तो दिया पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नहीं। मैं तो पतझर था फिर क्यूँ निमंत्रण दिया ऋतु बसंती को तन पर लपेटे हुये , आस मन में लिये प्यास तन में लिये कब शरद आयी पल्लू समेटे हुये , तुमने फेरीं निगाहें अँधेरा हुआ , ऐसा लगता है सूरज उगेगा नहीं। मैं तो होली मना लूँगा सच मानिये तुम दिवाली बनोगी ये आभास दो , मैं तुम्हें सौंप दूँगा तुम्हारी धरा तुम मुझे मेरे पँखों को आकाश दो , उँगलियों पर दुपट्टा लपेटो न तुम , यूँ करोगे तो दिल चुप रहेगा नहीं। आँख खोली तो तुम रुक्मिणी सी लगी बन्द की आँख तो राधिका तुम लगीं , जब भी सोचा तुम्हें शांत एकांत में मीरा बाई सी एक साधिका तुम लगी, कृष्ण की बाँसुरी पर भरोसा रखो , मन कहीं भी रहे पर डिगेगा नहीं।
Comments
mere 2 blog
hichkki or bibhishan google search per upnabdh hain. dekhne ki kripa karen.
Ami Adhar Nidar
Agra
Ek prshan... Aap apne baad ki peedi ke yuva rachnakaro ke liye kya kar rahe hai...?
or kavi sammelano ke manch per banavati/dikhavati kaviyo ke saath ka sukhad / dukhad anubhav kya raha ab tak..??
kavitakiran.blogspot.com
dhanywaad.
आपको मंच पर से सुनने का अवसर तो कई बार मिला और कई सम्मेलनों में तो सिर्फ आपको सुनने ही जाते थे ....आज ब्लॉग महाराज की कृपा से सीधे सीधे भी जुड गए ...परन्तु आपके ब्लॉग में "Followers" वाला टेग कहीं नहीं दिखा ...