क़सम तोड़ दें.........
चाँदनी
रात में-
रँग
ले हाथ में-
ज़िन्दगी
को नया मोड़ दें,
तुम
हमारी क़सम तोड़ दो हम तुम्हारी क़सम तोड़ दें ।
प्यार
की होड़ में दौड़ कर देखिये,
झूठे
बन्धन सभी तोड़ कर देखिये,
श्याम
रंग में जो मीरा ने चूनर रंगी
वो
ही चूनर ज़रा ओढ़ कर देखिये,
तुम
अगर साथ दो-
हाथ
में हाथ दो-
सारी
दुनियाँ को हम छोड़ दें...
तुम
हमारी क़सम तोड़ दो हम तुम्हारी क़सम तोड़ दें ।
देखिए
मस्त कितनी बसंती छटा,
रँग
से रँग मिलकर के बनती घटा,
सिर्फ
दो अंक का प्रश्न हल को मिला
जोड़
करना था तुमने दिया है घटा,
एक
हैं अंक हम-
एक
हो अंक तुम-
आओ
दोनों को अब जोड़ दें.....
तुम
हमारी क़सम तोड़ दो हम तुम्हारी क़सम तोड़ दें ।
स्वप्न
आँसू बहाकर न गीला करो,
प्रेम
का पाश इतना न ढीला करो,
यूँ
ही बढ़ती रहें अपनी नादानियाँ
हमको
छूकर के इतना नशीला करो,
हम
को जितना दिखा-
सिर्फ
तुमको लिखा-
अब
ये पन्ना यहीं मोड़ दें.....
तुम
हमारी क़सम तोड़ दो हम तुम्हारी क़सम तोड़ दें ।
Comments
मन तक पहुँचने वाली मार्मिक रचना।
मनभावन।
आनन्द विश्वास
Greatest..salute hai sahab ko
Greatest..salute hai sahab ko
अतुलनीय ..