मुक्तक-कमज़ोर नज़र आते हो

तुम जो खामोशियों को ओढ़ इधर आते हो,
लेके आँखों में कोई टूटा सा घर आते हो,
मैं दिखाता हूँ जहाँ प्यार में मजबूती को-
तुम उसी मोड़ पे कमज़ोर नज़र आते हो,

Comments

Unknown said…
बेहद खूबसूरत रचना

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