कभी हम खो गये.............

कभी हम खो गये कभी तुम खो गये।

दासतां कहते सुनते ही हम सो गये।


नील नभ को सजाया तुम्हारे लिये,

इंद्रधनु माँग लाया तुम्हारे लिये,

भूल जाओ तिमिर में न तुम राह को

नेह दीपक जलाया तुम्हारे लिये,

रोशनी में मगर तुम तो गुम हो गये। कभी......


मैंने देखा है सूरज निकलते हुये

शाम कि वक्त चुपचाप ढलते हुये,

रूप का गर्व है आपको किसलिये

क्या न देखा कभी हिम पिघलते हुये,

फूल की चाह थी शूल क्यों बो गये। कभी......


मैंने देखे हैं पत्थर पिघलते हुये

शीत जल में से शोले निकलते हुये,

तुम न बदलोगी ये कैसे विश्वास हो

क्या न देखा कभी हिम पिघलते हुये,

सिसकियाँ तुमने लीं और हम रो गये। कभी......

Comments

Alpana Verma said…
वाह! वाह!वाह!
क्या बात है!
बहुत ही अच्छा गीत है .आप को यू ट्यूब पर भी सुना ..आप की मंच प्रस्तुति बेहद प्रभावी है.
pushyamitra said…
बहुत ही सुन्दर गुरु जी...

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