Posts

Showing posts from 2022

योग दिवस

मित्रो,   रखना  है   अगर   यह  शरीर   नीरोग। ब्रह्ममहूर्त में जाग कर  प्रतिदिन  करिये  योग।। -डॉ.विष्णु सक्सैना

संदीप सपन जी से भेंट

करीब 16 वर्ष बाद मैं इस बार 15 अप्रैल को जबलपुर कमानिया गेट के एक कवि सम्मेलन में गया। वहां के वरिष्ठ कवि श्री संदीप सपन जी ( पिता श्री सुदीप भोला ) से मिलने का संकल्प लेकर घर से निकला था क्यों कि विगत कई वर्षों से वह बहुत बीमार चल रहे थे, मस्तिष्क में रक्त प्रवाह रुकने के कारण उनकी जिव्हा पर भी  पक्षाघात हो गया था। समय, उचित उपचार तथा उनके परिवार की उचित देखभाल ने उनको फिर से पूर्ण स्वस्थ कर दिया। पहली बार अर्जुन शिशोदिया और मुन्ना बैटरी के साथ जब उनके नए घर पर मिलने गया तो देखकर एक दम खिल गए, मैं उनसे छोटा हूँ इसके बावजूद वो मुझे पहले भी बहुत स्नेह करते थे और आज भी। पहले भी चरणस्पर्श के लिए गए हुए मेरे हाथों को बीच में रोक लेते थे वैसे ही आज भी रोक लिया, पता नहीं ऐसा करके मुझे सम्मान दे रहे थे या गीत विधा को। बहुत देर गुफ्तगू हुई,खूब हंसी ठट्ठा हुआ, पुरानी स्मृतियों को ताजा किया। बात करने का जबलपुरिया लहजा आज भी जस का तस है। वह भाग्यशाली हैं कि उनका सुदीप भोला जैसा पुत्र है ईश्वर उन्हें इसी प्रकार पूर्ण स्वस्थ और दीर्घायु बनाये।  #जबलपुर #Jabalpur #sandeep_sapan #vishnu #vishnusaxena

🌷गद्य पर पद्य का प्रभाव🌿🌷

🌱🌷गद्य पर पद्य का प्रभाव🌿🌷 अभी हाल ही में पटना में बिहार हिंदी सम्मेलन का आयोजन में जाना हुआ। पूर्व राज्यसभा सांसद श्री आर.के.सिन्हा जी की इस आयोजन में महती भूमिका थी। यह आयोजन तीन दिवसीय था, 2 अप्रैल की शाम को कविसम्मेलन होना था। सुबह के सत्र के लिए जाने माने लेखक श्री वेद प्रताप वैदिक को भी बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था। दोपहर को लंच पर मेरी उनसे भेंट हुई। वैदिक जी से मेरी एक भेंट कवि सम्मेलन समिति के अधिवेशन में हरिद्वार में हो चुकी थी लेकिन इस भेंट को वैदिक जी याद नहीं कर पा रहे थे। जब सिन्हा जी ने मेरे बारे में विस्तृत रूप से बताया तो वो थोड़ा सा गंभीर हुए। हम दोनों अन्नपूर्णा गेस्ट हाउस साथ ही एक ही गाड़ी में आये, दोनों के पास पास कमरे थे।  उनके मुताबिक उन्होंने कविसम्मेलन कभी सुना नहीं था (हालांकि ये बात मुझे पची नहीं, इतने पुराने व्यक्ति जिनके अनेक बड़े बड़े कवि मित्र रहे हों और उन्होंने कविसम्मेलन न सुने हों) इसलिए शाम को होने वाले कविसम्मेलन में उन्हें भी आमंत्रित किया गया। ये कवि सम्मेलन गीत प्रधान था इसलिए जैसे जैसे कवि सम्मेलन जवान होता गया, वैदिक जी पर कविताओं का नशा

प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं

बीना के श्री महेश कटारे गज़लों की दुनिया का जाना माना नाम है। आज तड़के कटनी से लौटते हुए बीना स्टेशन पर उतरा। यहां से ढाई घंटे बाद मेरी कनेक्टिंग ट्रेन थी। मैंने सोचा फोन मिला कर देखूँ, शायद जाग रहे हों।फोन पर बात हुई तो मालूम हुआ कि वो सागर में अपने छोटे बेटे के पास हैं 4 दिन से। मैंने कुशलक्षेम जानने के बाद फोन काट दिया। 5 मिनिट बाद फिर फोन आया और बोले मैं नहीं तो क्या हुआ घर तो है, मेरा बड़ा बेटा जो आपका ज़बरदस्त फेन है वो आपको लेने आरहा है आप घर जाकर फ्रेश होकर नाश्ता वगेरह करके तब जाएं, मुझे खुशी मिलेगी। मेरे काफी मना करने के बाद मैं उनका आग्रह न टाल सका और उनके बड़े बेटे के साथ घर चला गया। कवियो के बच्चे जिस तरह के होते हैं वैसा ही उनका बेटा अति विनम्र स्वभाव वाला निकला। घर पर गेट पर उनकी छोटी सी पोती ने निश्छल मुस्कान के साथ ऐसे स्वागत किया जैसे जाने कितने वर्षों से मुझे जानती है। मुस्कुराते हुए बोली-आइए दादा जी, आज आपने मेरे दिन बना दिया। आपको खूब सुनती हूँ यू ट्यूब पर। अब बताता हूँ दादा जी की इस नयी पोती के बारे में। विलक्षण प्रतिभा की इस बच्ची का नाम है 'काव्या कटारे' घर म

नयी सरकार और कलाकार

नयी सरकार और कलाकार---- समस्त कलाओं का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व होता है। कवि हो, शायर हो, पेंटर हो, खिलाड़ी हो, गायक हो या वादक हो, किसी भी श्रेणी का कलाकार हो उसके पास जो प्रतिभा होती है वह उसे नैसर्गिक रूप से मिलती है। जब प्रतिभा ईश्वर प्रदत्त है तो ईश्वर उसे किसी धर्म या जाति के बंधन में नहीं बांधता अपितु जिसको पात्र समझता है उसे वह उस कला से परिपूर्ण कर देता है। फिर वह कलाकार समाज में अपनी कला का प्रदर्शन कर समाज के लिए अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह करता है। अब यह समाज के ऊपर निर्भर है कि वह उस कलाकार की कला का किस रूप में ध्यान रखता है उसे सम्मानित करता है या उसे उसके भाग्य के भरोसे छोड़ देता है। इतिहास बताता है कि पुराने समय में राजा-महाराजा, बादशाह अपने दरबार में कलाकारों का संरक्षण करते थे। उनका मानना था कि कलाकार समाज का आईना होते हैं समाज में क्या घटित हो रहा है, वह दरबार मे सिंहासन पर बैठने वाले की अपेक्षा बेहतर तरीके से बता सकते हैं, अगर वह अपनी कला के माध्यम से सामने रखेंगे तो वह बहुत प्रभावी होगा। अतः जो कुशल राजा होते थे उन्हें दरबारी संरक्षण देकर उनको परिवारिक चिंताओ

भजन

दीजे दर्शन आय मुरारी ब्रज में धूम मचाने वाले सिर पर मोर मुकुट प्रति झमके कुंडल दामिनि के संग दमके कच जिमि काली नागिन चमके मस्तक खोर लगाने वाले-दर्शन..... रसना अधार कपोलन लाली है गीदन्त कि कांति निराली चमके शुभ जिमि निशि उजियाली मीठे स्वर में गाने वाले- दर्शन.... उन्नत के धर बाहु विशाला गल विच शुभ्र विराजत माला मेटत नित जन के जंजाला कटि मृगराज लजाने वाले-दर्शन.... हे जै चरन कमल सुखदाता जिनको सुमिरि होत कुशलता शशिरवि अधम चंद्र यह गाता वंशी मधुर बजाने वाले- दर्शन......

भजन

यश जग में छा रहा है गिरधर गुपाल तेरा। जन चाहते हैं दर्शन है दीनदयाल तेरा। सिर पर मुकुट है कोमल झलके है ज्योति निर्मल शशि को लजा रहा है कुंडल विशाल तेरा। यश... वंशी की धुन मधुर है रहती निकट अधर है गोपी लुभा रहा है स्वर प्रति रसाल तेरा। यश... पीताम्बर निराला सुंदर गले मे माला सबको सुहा रहा है चंदन जो भाल तेरा। यश..... शशि रवि महा अनारी विनती करे मुरारी यश शुभ्र गया रहा है ए नंदलाल तेरा.

भजन

प्रभु मेरे तुम दीनन हितकारी अजामिल सो पापी तारो तरी गौतम नारी मेरी बार कहाँ गए स्वामी करुणाकंद बिहारी प्रभु... द्रोपदी चीर बढायो तुमने तनक न बदन उघारी खींचत खींचत भुजबल हारो दुशासन बलधारी प्रभु... काम क्रोध और लोभ मोह है प्रबल दुष्ट खलचारी इनसे रहित करो प्रभु जन को राधावर गिरधारी प्रभु ... अति अगाध भवसागर है प्रभु तासे लेउ उबारी चंद्रभान पर कृपा कीजिये है श्री कृष्ण मुरारी। प्रभु.....

मुक्तक/परिंदा

प्यार का ज़ख़्मी परिंदा है उड़ न पायेगा, चिराग  तेज़  आंधियों  से लड़ न पायेगा, मैं कैसे तुझपे एक बार फिर यकीं कर लूँ- जो टूट कर बिखर गया वो जुड़ न पायेगा,

भजन

अब हरि टेर सुनो निज जन की तुमसे कहां छिपी करुणानिधि तुम जानत हो मन की, बीती आयु घटी नहिं तृष्णा बढ़ी लालसा धन की। करि छल कपट उदर ही पाल्यो शोभा कीनी तन की, परमारथ से दूर रह्यो नित तज सेवा संतन की। नहि जप तप व्रत दान कियो नहीं जानी रीति भजन की, यह भरोस मोहि कीनी शुभ गति तुम ते बहु पतिनन की। कीनी दया सप्रेम रहिन मोहि दीनी वृंदावन की राधारमण मन्द्र घेरे विच कुटिया नारायण की। इच्छा नहिँ वस्त्र सुंदर की ना नीके भोजन की है अभिलाष एक शशिरवि उर प्रगट रूप दर्शन की

ग़ज़ल/ सेहत

सुर्खरू होता है इंसा सख्तियां सहने के बाद  रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद आरजू मदान सेहत याद रखेंगे मदान दस मिनट हर रोज चलना रात को खाने के बाद  पेट की मोटर में खाने की सवारी कम भरो  फेल हो जाएगी ठूंसा ठूंस भर जाने के बाद  चाय बिस्कुट चाट मिर्चे जो उड़ाते हैं बहुत  उनकी आंतें ठीक होती हैं दही खाने के बाद  हो मुलायम या कड़ा सब्जी भी हो ख़ुश ज़ायका  छोड़ दो खाना ना खाओ फिर डकार आने के बाद  थोड़ा पानी बीच में खाने के पीना है मुफीद  देता है नुकसान ज्यादा पीना खा चुकने के बाद  वक्त के पाबंद भी खाने के रहना है जरूर  और न ज्यादा खाइए वक्त टल जाने के बाद 'शशि रवि'

गीत/वेलेंटाइन डे

🌷आज वेलेंटाइन डे है-🌷 यानि 'प्रेम दिवस' लेकिन इसका नाम अंग्रेजी में तो 'लव डे' होना चाहिए,फिर वेलेंटाइन डे क्यों? आइए इसका इतिहास बताता हूँ, तीसरी शताब्दी में रोम में वैलेंटाइन नाम का एक पादरी था। वो लोगों को प्रेम करने का संदेश देता था उस समय के राजा क्लॉडियस द्वितीय ने इसके विरुद्ध आदेश दिया पादरी नहीं माना तो राजा ने 14 फरवरी को फांसी पर चढ़ा दिया। धर्म कोई भी हो सब प्रेम करना सिखाते हैं। नफरत करने की सलाह कोई नहीं देता, चाहे कृष्ण हों, मुहम्मद साहब हों, गुरु नानक हों या ईसा मसीह। हम किसी के भी माध्यम से प्रेम करना सीख रहे हैं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। किसी भी धर्म से घृणा करने का अधिकार हमको नहीं हैं। कुछ लोग जब कहते हैं हमारे भारत मे इन 7 दिनों में ही प्यार थोड़े ही होता है यहां तो प्रत्येक दिन प्यार का होता हैं। हमारे यहाँ बसंत से प्यार शुरू हो जाता है। बेशक हो जाता है... अगर हर दिन प्यार का होता तो चारों तरफ नफरत न फैली हुई होती। भाई भाई से, पड़ोसी पड़ोसी से, हिन्दू मुसलमान से, मुसलमान हिन्दू से और पाकिस्तान भारत से नफरत की आग में न जल रहे होते। इसी 14 फरवरी को पाक

मुक्तक/ हग डे

आज "हग डे" है  यानी "आलिंगन दिवस"। आलिंगन एक ऐसा शब्द है जिसकी कल्पना मात्र से ही मन को असीम शांति और सुकून मिल जाता है। आलिंगन शब्द दो दूर हुए व्यक्तियों को पास आकर एक होने की ध्वनि देता है। यह शब्द मस्तिष्क में सनसनाहट और दिल में गुदगुदी पैदा करता है। दो सच्चा प्रेम करने वाले व्यक्ति ही सार्थक आलिंगन कर सकते हैं, मन में गांठ रखने वाले व्यक्ति जब आलिंगन करने का दिखावा करते हैं तो उनकी  कसावट में  जमीन आसमान का अंतर होता है। जिसका आलिंगन किया जाता है वह समझ जाता है कि दिखावा हो रहा है, इसमें ऐसी गर्मी नहीं है जैसी होनी चाहिए। पुत्र की सफलता पर पिता या माँ जब उसका आलिंगन करते हैं तो वह सुख अनिर्वचनीय होता है। दो बिछड़े हुए दोस्त जब आलिंगन करते हैं तो उसकी कसावट दोनों दोस्त ही समझ सकते हैं। हमने तस्वीरों में देखा है कि कृष्ण और सुदामा की दोस्ती के आलिंगन का परिचय दोनों के चारों नेत्रों से बहती हुई अश्रुधार किस तरह  दे रही थी। इस समय चुनावी दौर चल रहा है इस वक्त जो दो दलों के बीच आलिंगन हो रहे हैं या प्रत्याशी और मतदाता के बीच में जो आलिंगन हो रहे हैं वह बहुत ही निंदनी

मुक्तक/प्रॉमिस डे

आज प्रॉमिज़ डे है- प्रोमिज़ यानी वायदा। भौतिक रूप से मिलने मिलाने का वायदा एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन किसी के मिलने से अगर हमारी खुशी में वृद्धि होती है तो वह मिलना सार्थक माना जाता है अगर वही मिलना अगर दुखदाई हो जाए तो जीवन निरर्थक सा लगने लगता है। वायदों के विषय में एक उक्ति बहुत प्रचलित है कि वायदे टूटते ही हैं लेकिन कोशिश कामयाब हो जाती हैं। तो क्यों ना हम एक ऐसी कोशिश करें के वायदे पूरी तरह निभ जाएं। इस समय चुनावी दौर है हर दल की तरफ से बड़े बड़े प्रॉमिज़ किए जा रहे हैं अगर हर दल ने सत्ता में आने के बाद वायदे पूरे कर दिए होते तो आजादी के बाद से अब तक भारत की एक नई तस्वीर हमारे सामने दिखाई देती।  आइए आज प्रॉमिज़ डे पर हम स्वयं से ये प्रॉमिज़ करें कि आज के बाद किसी को धोखा नहीं देंगे, किसी का दिल नहीं दुखाएँगे, जो भी काम करेंगे पूरी ईमानदारी से करेंगे, अपने परिवार और दोस्तों के प्रति ईमानदार रहेंगे। देश के प्रति भी ईमानदार रहने का अगर प्रोमिज़ कर लें तो ये गुलशन विश्व मे सबसे अधिक सुंदर लगने लगेगा। एक  दूजे  को माफ  करेंगे ऐसा   नेक  इरादा कर  लें, सुख-दुख बांटेंगे आपस में आओ  दोनों व

भजन

बुरे कर्मों से नाथ बचा लो मुझे, दया कर दास अपना बना लो मुझे,   फंस रहा हूं मैं माया के फंदों में  दिल मेरा लग रहा घर के धंधों में  कर कृपा जल्द सबसे छुड़ा लो मुझे...   जो कि कर्तव्य था वह निभाता रहा  जो हुआ उसका फल सब उठाता रहा  दीन हूं नाथ चरणों लगा लो मुझे...   तुम जो चाहो करो तुमको अख्तियार है  तुमको हरदम प्रभु जी नमस्कार है  जो उचित हो हंसा लो रुला लो मुझे...   ज्ञान विज्ञान शशिरवि नहीं जानता  तुमसे बढ़कर किसी को नहीं मानता  रहम कर अपनी भक्ति सिखालो मुझे...

मुक्तक/ टेडी डे

आज टेडी डे है टेडी यानी नर्म, कोमल और मुलायम एहसासों का दिन। वह एहसास जिन्हें अगर महसूस कर लिया जाए तो दिल को एक तसल्ली सी मिले जैसे मरुस्थल में किसी तृषित व्यक्ति को जल की तृप्ति मिल जाए। इन दिनों आपको ऐसे अनेक लोग मिल जाएंगे जो ऊपर से तो बहुत रूखे और क्रूर लगते हैं लेकिन अंदर से बहुत कोमल और भले होते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो ऊपर से बहुत कोमल और सुंदर और आकर्षक दिखाई देते हैं लेकिन अंदर से बहुत दुष्ट होते हैं, मिलते ही आपको तकलीफ देंगे, धोखा देंगे। ऐसे लोग बहुत खतरनाक होते हैं उनसे सावधान रहना चाहिए। लेकिन ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो ऊपर से भी सुंदर हो और अंदर से भी सुंदर आज के दिन हम सभी कोशिश करें कि टेडी के नर्म मुलायम बालों की तरह हम अंदर से और बाहर से एक जैसे दिखाई दें---- "पूरे न  हो  सकें  उन  सपनों  को  पालिये मत, अश्कों  के  उत्तरों  को  प्रश्नों  से  टालिए  मत, है   नर्म दिल   हमारा   जैसे  कि    टेडीबियर- कहीं जाएं न बिखर हम हमको उछालिये मत" #मुहब्बत_ज़िन्दाबाद #विष्णुलोक #Velentine #टेडी #teddyDay

मुक्तक/चॉकलेट डे

आज चॉकलेट डे है, यानि मिठास का दिन। हमारे जीवन मे जितनी भी कड़वाहटें हैं उनको दूर करने का दिन। इंसानियत की ज़ुबान पर जिन लोगों ने नीम की पत्तियां रख दीं हैं उनको हटा कर फेंक देने का  दिन। आइए, हिंदुस्तान के बगीचे में जिन लोगों ने नफरतों की फसलें उगा रखी हैं उन्हें जड़ से उखाड़ कर मुहब्बत की पौध लगा कर ये संदेश दें कि ये कायनात मुहब्बत की चॉकलेट से चलेगी नफरत के मंसूबों से नहीं। "सच कह रहा हूँ थोड़ा मिल जाये आपका मन, भर   जाएगा   खुशी से  खाली  पड़ा ये दामन, संसार   से   मिली   जो   कड़वाहटें     मिटेंगी चाकलेट   जैसा   मीठा   हो  जायेगा ये जीवन," 🍫हैप्पी चॉकलेट डे🍫 #मुहब्बत_ज़िन्दाबाद #विष्णुलोक #Velentine #chocolate #चॉकलेट #नफरत

जगत में सेवा...

जगत में सेवा ही है सार  सेवा के मग का  है जग में बहुत बड़ा विस्तार  नर से लेकर नारायण तक हैं इसके आधार। जगत.... सेवा करना सरल नहीं है दुष्कर है व्यापार  इसका पालन महा कठिन है कहते शास्त्र पुकार। जगत.... नारायण मय सृष्टि समझकर ले जा परली पार  तब भवसागर से सेवक का हो क्षण में उद्धार। जगत....

गणेश वंदना

गणेश वंदना देवा लंबोदर गिरिजा नंदना। यहि पूजि करी मनकामना।  तुम प्रिय पावन हे मनभावन  विद्या देहु गजानना। देवा.... जय गणनायक जय वर दायक  काट देऊ मम फंदना। देवा.... तुम तो करुणा के सागर  प्रथम पूज्य और जगत उजागर  करूं प्रेम युत वंदना। देवा.... पड़ी सुमन की गल विच माला  सोहत सुंदर रूप विशाला  मस्तक रोरी चंदना। देवा....

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी ऐसी आंधी चली सत्य की उड़ा झूठ का तृण बापू तेरे कदमों को मेरा सौ बार नमन   मुंह से उफ़ तक ना निकला  जाने कितने ही जुल्म सहे  एक अहिंसा के सागर में  सारे अत्याचार बहे  संयम ने ही तोड़ दिए भ्रम के सारे बंधन। बापू.... बहुत कठिन था  अंग्रेजों से आजादी पाना,  साधारण सी लाठी का  सबने लोहा माना,  एक नारे ने ही खाली करवाया यह आंगन। बापू.... पूरा देश चल रहा अब तक  तुमने राह दिखाई जो  सब की सब हैं खरी उतरती  बातें हमें बतायीं जो,  तुमको एक बार देखें तो तन मन हो पावन। बापू.....

लता जी स्मरण

ज़रा से संकोच से उस दिव्य मिठास को नहीं सुन सका.... डॉ. विष्णु सक्सेना (अन्तर्राष्ट्रीय गीतकार) जीवन में संकोच कभी नहीं रखना चाहिए जो भी मन में हो सामने वाले से बिना हिचक कह दो अगर किस्मत में मिलना होगा तो मिल जाएगा नहीं मिलना होगा तो उसे नियति समझकर संतोष कर लेना चाहिए। अगर उस दिन मैं संकोच के कारण मना न करता तो दूर से ही सही लता दीदी से बात तो हो जाती।  हुआ यूं कि उन दिनों सब टीवी पर कविता का एक कार्यक्रम आया करता था " वाह वाह", जिसे श्री अशोक चक्रधर होस्ट किया करते थे उनके 1 एपिसोड में जब मैं अपना एक गीत 'थाल पूजा का लेकर चले आइए' पढ़ रहा था तो उस एपिसोड को मुंबई में बैठकर क्रांति, रोटी कपड़ा मकान जैसी अनेक हिट फिल्मों के निर्माता निर्देशक अभिनेता श्री मनोज कुमार जी टीवी पर मुझे सुन रहे थे। उनको मेरे गीत ने अपील किया तो उन्होंने अशोक चक्रधर जी को फोन मिला कर मुझसे संपर्क करने की इच्छा जाहिर की। अशोक जी ने मुझे फोन किया कि मनोज कुमार जी तुमसे मिलना चाहते हैं उन्होंने फोन नंबर दिया मेरी बातचीत हुई। फोन पर ही मेरा यही गीत किश्तों में सुनकर बहुत आनंदित हुए। फिर आए दिन ह

समाचार

डॉ. विष्णु सक्सेना की अध्यक्षता में लाल किला का राष्ट्रीय कवि सम्मेलन 2022 सम्पन्न। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली ने होने वाला राष्ट्रीय कवि सम्मेलन देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कवि सम्मेलनों में से एक है। कोविड की आपदा के कारण पिछले वर्ष भी रस्म अदायगी हुई तथा इस वर्ष भी परंपरा न टूटे इसलिए कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के कारण सुरक्षा की दृष्टि से यह वर्चुअली किया गया। इसका संयोजन हिंदी अकादमी दिल्ली ने किया। अकादमी के सचिव श्री जीतराम भट्ट ने बताया कि इस बार इस राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के अध्यक्ष हिंदी के वरिष्ठ गीतकार यश भारती डॉ. विष्णु सक्सैना ने की तथा संचालन राजीव राज ने किया। इसमें अन्य प्रतिभागी कवियो में श्रीमती कीर्ति काले, बेबाक जौनपुरी, अमन अक्षर, शहनाज हिंदुस्तानी तथा भुवनेश सिंघल ने अपना श्रेष्ठ काव्यपाठ करके राष्ट्र के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।

सर्व भाषा कविसम्मेलन में चयनित गीत

🎙️📻 रात 10 बजे AIR के सभी चैनल्स पर🎙️📻 हम आज बहुत प्रसन्न भी हैं और गौरवान्वित भी, क्यों कि सर्व भाषा कवि सम्मेलन 2022 हेतु हिंदी भाषा की कविता में हमारे एक गीत "न सुलगती रात न दिन आंसुओं से भीगते" को प्रथम स्थान पर चयनित किया गया है। ये कविता गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के 400 आकाशवाणी केंद्रों पर  एक साथ प्रसारित होगी। इस कविता का 22 भाषाओं में अनुवाद भी प्रसारित होगा। गीत-- ना सुलगती रात- ना दिन आंसुओं से भीगते। प्यार के बदले अगर तुम प्यार देना सीखते।। हमने जब भी गुनगुनायी नेह     की     आसावरी, खुद-ब-खुद बहने  लगी  तब शब्द  की  गोदावरी, इक सुखद  स्पर्श पाकर गीत  अनगिन  हो   गए, देह    तो    जगती   रही मन  प्राण दोनों  सो गए, मुँह छिपाते ना उजाले-ना अँधेरे रीझते।  प्यार के बदले अगर तुम प्यार देना सीखते।। गोद में  सर  रख  के मेरा तुम  जो  देते    थपकियाँ, आँसुओं   को   पोंछ  देते बंद   करते     सिसकियाँ, धडकनों, साँसों, निगाहों ने निभाया         हर    धरम पर तुम्हारे एक ही जुमले  ने       तोड़े    सब   भरम, फूल मुँह ना फेरते- काँटे न दामन खींचते।  प्यार के बदले अ