महात्मा गांधी
महात्मा गांधी
ऐसी आंधी चली सत्य की उड़ा झूठ का तृण
बापू तेरे कदमों को मेरा सौ बार नमन
मुंह से उफ़ तक ना निकला
जाने कितने ही जुल्म सहे
एक अहिंसा के सागर में
सारे अत्याचार बहे
संयम ने ही तोड़ दिए भ्रम के सारे बंधन। बापू....
बहुत कठिन था
अंग्रेजों से आजादी पाना,
साधारण सी लाठी का
सबने लोहा माना,
एक नारे ने ही खाली करवाया यह आंगन। बापू....
पूरा देश चल रहा अब तक
तुमने राह दिखाई जो
सब की सब हैं खरी उतरती
बातें हमें बतायीं जो,
तुमको एक बार देखें तो तन मन हो पावन। बापू.....
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