मुक्तक/ हग डे

आज "हग डे" है 
यानी "आलिंगन दिवस"। आलिंगन एक ऐसा शब्द है जिसकी कल्पना मात्र से ही मन को असीम शांति और सुकून मिल जाता है। आलिंगन शब्द दो दूर हुए व्यक्तियों को पास आकर एक होने की ध्वनि देता है। यह शब्द मस्तिष्क में सनसनाहट और दिल में गुदगुदी पैदा करता है। दो सच्चा प्रेम करने वाले व्यक्ति ही सार्थक आलिंगन कर सकते हैं, मन में गांठ रखने वाले व्यक्ति जब आलिंगन करने का दिखावा करते हैं तो उनकी  कसावट में  जमीन आसमान का अंतर होता है। जिसका आलिंगन किया जाता है वह समझ जाता है कि दिखावा हो रहा है, इसमें ऐसी गर्मी नहीं है जैसी होनी चाहिए। पुत्र की सफलता पर पिता या माँ जब उसका आलिंगन करते हैं तो वह सुख अनिर्वचनीय होता है। दो बिछड़े हुए दोस्त जब आलिंगन करते हैं तो उसकी कसावट दोनों दोस्त ही समझ सकते हैं। हमने तस्वीरों में देखा है कि कृष्ण और सुदामा की दोस्ती के आलिंगन का परिचय दोनों के चारों नेत्रों से बहती हुई अश्रुधार किस तरह  दे रही थी।
इस समय चुनावी दौर चल रहा है इस वक्त जो दो दलों के बीच आलिंगन हो रहे हैं या प्रत्याशी और मतदाता के बीच में जो आलिंगन हो रहे हैं वह बहुत ही निंदनीय और अविश्वसनीय आलिंगन हैं। इनमें न कोई प्रेम है, न कोई ईमानदारी है, न कोई आस्था है और न कोई विश्वास है। जहाँ यह चारों चीजें उपस्थित होती हैं वहाँ तो आलिंगन करने की आवश्यकता ही नहीं है, वहाँ तो स्वतः ही बाहें खुलेंगीं और आलिंगन हो जाएगा।
"इक पल यहाँ, वहाँ दूजे पल
शायद इसको  मन  कहते हैं,
सुख का दुख से है आलिंगन
लोग  इसे   जीवन  कहते  हैं,"

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