गीत/वेलेंटाइन डे
🌷आज वेलेंटाइन डे है-🌷
यानि 'प्रेम दिवस' लेकिन इसका नाम अंग्रेजी में तो 'लव डे' होना चाहिए,फिर वेलेंटाइन डे क्यों? आइए इसका इतिहास बताता हूँ,
तीसरी शताब्दी में रोम में वैलेंटाइन नाम का एक पादरी था। वो लोगों को प्रेम करने का संदेश देता था उस समय के राजा क्लॉडियस द्वितीय ने इसके विरुद्ध आदेश दिया पादरी नहीं माना तो राजा ने 14 फरवरी को फांसी पर चढ़ा दिया। धर्म कोई भी हो सब प्रेम करना सिखाते हैं। नफरत करने की सलाह कोई नहीं देता, चाहे कृष्ण हों, मुहम्मद साहब हों, गुरु नानक हों या ईसा मसीह। हम किसी के भी माध्यम से प्रेम करना सीख रहे हैं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। किसी भी धर्म से घृणा करने का अधिकार हमको नहीं हैं। कुछ लोग जब कहते हैं हमारे भारत मे इन 7 दिनों में ही प्यार थोड़े ही होता है यहां तो प्रत्येक दिन प्यार का होता हैं। हमारे यहाँ बसंत से प्यार शुरू हो जाता है। बेशक हो जाता है... अगर हर दिन प्यार का होता तो चारों तरफ नफरत न फैली हुई होती। भाई भाई से, पड़ोसी पड़ोसी से, हिन्दू मुसलमान से, मुसलमान हिन्दू से और पाकिस्तान भारत से नफरत की आग में न जल रहे होते। इसी 14 फरवरी को पाकिस्तान ने पुलवामा में अटैक करके हमारे 40 जवान शहीद न कर दिए होते। भगवान कृष्ण तो प्रेम के देवता हैं, महावीर स्वामी तो प्रेम के संदेश वाहक हैं, ये सब यहीं पैदा हुए हैं फिर क्यों हम इनसे प्यार करना नहीं सीख पाए। आज अगर सात दिनों के माध्यम से युवा अलग अलग प्रतीकों के माध्यम से प्रेम की इबारत सीख रहा है तो कल एक माह और वर्ष भर प्यार करने की पोथी भी पढ़ेगा। इंसानियत के बीच बढ़ती हुई खाई पटेगी और मानवता के बीच प्रेम का फूल मुस्कुराएगा। हमें जीवन मे सकारात्मक सोच के साथ जीना चाहिए।
आइए, नफरतों के खेत मे प्यार की फसल उगाएं, पुलवामा में मारे गये 40 जवानों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दें और सबको बोलें मुहब्बत ज़िंदाबाद।
आज के दिन एक खास गीत--
"बातों में मिश्री घुलती ज्यों
वैसे मुझमें घुल-मिल जाओ,
खुशबू ही ख़ुशबू भर दूँगा
देकर के अपना दिल जाओ,
सूरज ज्यों संध्या की गोदी
में सिर रख कर सो जाता है,
पूरी रात भोर के मीठे
सपनों में फिर खो जाता है,
कलियाँ चटकीं हँसीं खिलखिला
वैसे ही तुम भी खिल जाओ। खुशबू.....
धूप खिले, चंदा छिप जाता
लिए चाँदनी अपनी पीछे,
मैं भी तेरी इन बाहों में
छिपा हुआ हूँ आँखे मीचे,
बर्फ पिघल पानी बन जाये
मुझमें यूँ शामिल हो जाओ। खुशबू.....
शलभ करे ज्यों प्रीत दीप से
सरिता प्रीत करे सागर से,
मुझमें अमृत सा छलका दो
अपने अधरों की गागर से,
सब कुछ कह दो कुछ ना कहकर
ऐ अधरो कुछ पल सिल जाओ।खुशबू....."
@विष्णु सक्सेना
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