मुक्तक/प्रॉमिस डे

आज प्रॉमिज़ डे है-
प्रोमिज़ यानी वायदा। भौतिक रूप से मिलने मिलाने का वायदा एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन किसी के मिलने से अगर हमारी खुशी में वृद्धि होती है तो वह मिलना सार्थक माना जाता है अगर वही मिलना अगर दुखदाई हो जाए तो जीवन निरर्थक सा लगने लगता है। वायदों के विषय में एक उक्ति बहुत प्रचलित है कि वायदे टूटते ही हैं लेकिन कोशिश कामयाब हो जाती हैं। तो क्यों ना हम एक ऐसी कोशिश करें के वायदे पूरी तरह निभ जाएं। इस समय चुनावी दौर है हर दल की तरफ से बड़े बड़े प्रॉमिज़ किए जा रहे हैं अगर हर दल ने सत्ता में आने के बाद वायदे पूरे कर दिए होते तो आजादी के बाद से अब तक भारत की एक नई तस्वीर हमारे सामने दिखाई देती। 
आइए आज प्रॉमिज़ डे पर हम स्वयं से ये प्रॉमिज़ करें कि आज के बाद किसी को धोखा नहीं देंगे, किसी का दिल नहीं दुखाएँगे, जो भी काम करेंगे पूरी ईमानदारी से करेंगे, अपने परिवार और दोस्तों के प्रति ईमानदार रहेंगे। देश के प्रति भी ईमानदार रहने का अगर प्रोमिज़ कर लें तो ये गुलशन विश्व मे सबसे अधिक सुंदर लगने लगेगा।
एक  दूजे  को माफ  करेंगे
ऐसा   नेक  इरादा कर  लें,
सुख-दुख बांटेंगे आपस में
आओ  दोनों वादा कर लें,

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