भजन

यश जग में छा रहा है गिरधर गुपाल तेरा।
जन चाहते हैं दर्शन है दीनदयाल तेरा।
सिर पर मुकुट है कोमल
झलके है ज्योति निर्मल
शशि को लजा रहा है कुंडल विशाल तेरा। यश...

वंशी की धुन मधुर है
रहती निकट अधर है
गोपी लुभा रहा है स्वर प्रति रसाल तेरा। यश...

पीताम्बर निराला
सुंदर गले मे माला
सबको सुहा रहा है चंदन जो भाल तेरा। यश.....

शशि रवि महा अनारी
विनती करे मुरारी
यश शुभ्र गया रहा है ए नंदलाल तेरा.


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