भजन
प्रभु मेरे तुम दीनन हितकारी
अजामिल सो पापी तारो तरी गौतम नारी
मेरी बार कहाँ गए स्वामी करुणाकंद बिहारी
प्रभु...
द्रोपदी चीर बढायो तुमने तनक न बदन उघारी
खींचत खींचत भुजबल हारो दुशासन बलधारी
प्रभु...
काम क्रोध और लोभ मोह है प्रबल दुष्ट खलचारी
इनसे रहित करो प्रभु जन को राधावर गिरधारी
प्रभु ...
अति अगाध भवसागर है प्रभु तासे लेउ उबारी
चंद्रभान पर कृपा कीजिये है श्री कृष्ण मुरारी।
प्रभु.....
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