भजन
बुरे कर्मों से नाथ बचा लो मुझे,
दया कर दास अपना बना लो मुझे,
फंस रहा हूं मैं माया के फंदों में
दिल मेरा लग रहा घर के धंधों में
कर कृपा जल्द सबसे छुड़ा लो मुझे...
जो कि कर्तव्य था वह निभाता रहा
जो हुआ उसका फल सब उठाता रहा
दीन हूं नाथ चरणों लगा लो मुझे...
तुम जो चाहो करो तुमको अख्तियार है
तुमको हरदम प्रभु जी नमस्कार है
जो उचित हो हंसा लो रुला लो मुझे...
ज्ञान विज्ञान शशिरवि नहीं जानता
तुमसे बढ़कर किसी को नहीं मानता
रहम कर अपनी भक्ति सिखालो मुझे...
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