सर्व भाषा कविसम्मेलन में चयनित गीत
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हम आज बहुत प्रसन्न भी हैं और गौरवान्वित भी, क्यों कि सर्व भाषा कवि सम्मेलन 2022 हेतु हिंदी भाषा की कविता में हमारे एक गीत "न सुलगती रात न दिन आंसुओं से भीगते" को प्रथम स्थान पर चयनित किया गया है। ये कविता गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के 400 आकाशवाणी केंद्रों पर एक साथ प्रसारित होगी। इस कविता का 22 भाषाओं में अनुवाद भी प्रसारित होगा।
गीत--
ना सुलगती रात- ना दिन आंसुओं से भीगते।
प्यार के बदले अगर तुम प्यार देना सीखते।।
हमने जब भी गुनगुनायी
नेह की आसावरी,
खुद-ब-खुद बहने लगी
तब शब्द की गोदावरी,
इक सुखद स्पर्श पाकर
गीत अनगिन हो गए,
देह तो जगती रही
मन प्राण दोनों सो गए,
मुँह छिपाते ना उजाले-ना अँधेरे रीझते।
प्यार के बदले अगर तुम प्यार देना सीखते।।
गोद में सर रख के मेरा
तुम जो देते थपकियाँ,
आँसुओं को पोंछ देते
बंद करते सिसकियाँ,
धडकनों, साँसों, निगाहों ने
निभाया हर धरम
पर तुम्हारे एक ही जुमले
ने तोड़े सब भरम,
फूल मुँह ना फेरते- काँटे न दामन खींचते।
प्यार के बदले अगर तुम प्यार देना सीखते।।
एक तितली फूल के
कहती है जब कुछ कान में,
तो समझ लो रुत
बसंती सी है बीयाबान में,
तुम भी छू लेते जो पत्थर
तो ये बनता देवता,
माफ़ कर देता तुम्हारी
अगली पिछली सब खता,
ज़ख्म जो अन्दर छिपे-
गर वो भी तुमको दीखते।
प्यार के बदले अगर तुम
प्यार देना सीखते।
@डॉ. विष्णु सक्सेना
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