संदीप सपन जी से भेंट

करीब 16 वर्ष बाद मैं इस बार 15 अप्रैल को जबलपुर कमानिया गेट के एक कवि सम्मेलन में गया। वहां के वरिष्ठ कवि श्री संदीप सपन जी ( पिता श्री सुदीप भोला ) से मिलने का संकल्प लेकर घर से निकला था क्यों कि विगत कई वर्षों से वह बहुत बीमार चल रहे थे, मस्तिष्क में रक्त प्रवाह रुकने के कारण उनकी जिव्हा पर भी  पक्षाघात हो गया था। समय, उचित उपचार तथा उनके परिवार की उचित देखभाल ने उनको फिर से पूर्ण स्वस्थ कर दिया। पहली बार अर्जुन शिशोदिया और मुन्ना बैटरी के साथ जब उनके नए घर पर मिलने गया तो देखकर एक दम खिल गए, मैं उनसे छोटा हूँ इसके बावजूद वो मुझे पहले भी बहुत स्नेह करते थे और आज भी। पहले भी चरणस्पर्श के लिए गए हुए मेरे हाथों को बीच में रोक लेते थे वैसे ही आज भी रोक लिया, पता नहीं ऐसा करके मुझे सम्मान दे रहे थे या गीत विधा को। बहुत देर गुफ्तगू हुई,खूब हंसी ठट्ठा हुआ, पुरानी स्मृतियों को ताजा किया। बात करने का जबलपुरिया लहजा आज भी जस का तस है। वह भाग्यशाली हैं कि उनका सुदीप भोला जैसा पुत्र है ईश्वर उन्हें इसी प्रकार पूर्ण स्वस्थ और दीर्घायु बनाये। 
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