वासंती मौसम भी पतझड़ से हो गये......

आँखों में पाले तो पलकें भिगो गये।
वासंती मौसम भी पतझड़ से हो गये॥
बीते क्षण बीते पल
जीत और हार में,
बीत गयी उम्र सब
झूठे सत्कार में,
भोर और संध्या सब करवट ले सो गये। आखों...
जीवन की वंशी में
साँसों का राग है,
कदमों में काँटे हैं
हाथों में आग है,
अपनों की भीड़ में सपने भी खो गये। आँखों ....
रीता है पनघट
रीती हर आँख है,
मुरझाये फूलों की
टूटी हर पाँख है,
आँधियों को देख कर उपवन भी रो गये। आँखों...
कितना अजीब
फूल काँटे का मेल,
जीवन है गुड्डे
और गुड़्यों का खेल,
पथरीले मानव को तिनके भिगो गये। आँखों....
Comments