समन्दर दिखेगा नहीं.......


तुम नदी कहकहों की तुम्हें आँख में आँसुओं का समन्दर दिखेगा नहीं।
सब्र का बाँध यूँ तो है मज़बूत पर  टूट जायेगा फिर कुछ बचेगा नहीं॥

तुम तो  कादम्बिनी जैसी फूली फली
और् शहरों  के अधरों की सरिता रहीं,
मैं धर्मयुग  सा  हर रोज़ छोटा हुआ
पर कटे  हँस  की  सी  उडानें  भरीं,
ये तो तय है कि नि:सार संसार में सार गर्भित जो होगा बिकेगा नहीं।

जो भी गिर कर उसूलों से मुझको मिला
जाने क्यों  हाथ  उसको  बढा  ही नहीं,
डाल  से  जो  गिरा  है धरा पर सुमन
आज  तक  देवता  पर  चढा  ही नहीं,
आत्म सम्मान के पेड़ का ये तना टूट जायेगा पर अब झुकेगा नहीं॥

ओ  मेरे  देवता, मुझको  ये तो बता
मेरी पूजा में क्या-क्या कमी रह गयी,
मेरे अधरों  पे  भरपूर  मुस्कान थी
मेरी आँखों में फिर क्यों नमी रह गयी,
जो भी मिल जायेगा लूँगा सम्मान से हाथ ये याचना को बढेगा नहीं॥

Comments

Alpana Verma said…
मेरे अधरों पे भरपूर मुस्कान थी
मेरी आँखों में फिर क्यों नमी रह गयी,

वाह!
बहुत ही खूबसूरत रचना !
मैं आपको प्रणाम करता हूँ। मेरे लिए आप प्रेरणा का सागर हैं। कोशिशें तो बहुत की मगर आज आपसे संपर्क हो सका है, फेस्बूक का शुक्रिया । संयोग श्रंगार में आप इस युग के सबसे बड़े और बंदनीय गीतकार हैं। भविष्य में आपसे एक मुलाक़ात की ख्वाईश है।

आपका
सूर्य पाल गंगवार "सूरज"
IAS, CDO Budaun
Anonymous said…
Fggff
PRADEEP TIWARI said…
Really .. After ramdhari Singh Dinkar.. You are my favourite Poet
PRADEEP TIWARI said…
Really .. After ramdhari Singh Dinkar.. You are my favourite Poet
Unknown said…
Awesome u always
Vishnu Ji ultimate kavita, full song superb...

I like most
"जो भी गिर कर उसूलों से मुझको मिला
जाने क्यों हाथ उसको बढा ही नहीं,
डाल से जो गिरा है धरा पर सुमन
आज तक देवता पर चढा ही नहीं"


विष्णु जी अतिसुन्दर पूरा गीत ही अदभुत है, सबसे सुन्दर
पंक्तियाँ...
"जो भी गिर कर उसूलों से मुझको मिला
जाने क्यों हाथ उसको बढा ही नहीं,
डाल से जो गिरा है धरा पर सुमन
आज तक देवता पर चढा ही नहीं"


Aapke kafi Geeto Aur muktak KO Maine pada, suna...
Mujhe urdu shayries, Gajal bahut Pasand hai per aapko padkar kavitao ka bhi kafi sauk ho gya hai..

My well wishes are always with you... keep it up always Vishnu ji..

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