गीत
मैं वहीं पर खड़ा तुमको मिल जाऊँगा
जिस जगह जाओगे तुम मुझे छोड़ कर
अश्क पी लूँगा और ग़म उठा लूँगा मैं
सारी यादों को सो जाऊंगा ओढ़ कर,
जब भी बारिश की बूंदें भिगोयें तुम्हें
सोच लेना की मैं रो रहा हूँ कहीं,
जब भी हो जाओ बेचैन ये मानना
खोल कर आँख में सो रहा हूँ कहीं,
टूट कर कोई केसे बिखरता यहाँ
देख लेना कोई आइना तोड़ कर;
मैं तो जब जब नदी के किनारे गया
मेरा लहरों ने तन तर बतर कर दिया,
पार हो जाऊँगा पूरी उम्मीद थी
उठती लहरों ने पर मन में डर भर दिया,
रेत पर बेठ कर जो बनाया था घर
आ गया हूँ उसे आज फिर तोड़ कर,
[शेष संकलन में]
जिस जगह जाओगे तुम मुझे छोड़ कर
अश्क पी लूँगा और ग़म उठा लूँगा मैं
सारी यादों को सो जाऊंगा ओढ़ कर,
जब भी बारिश की बूंदें भिगोयें तुम्हें
सोच लेना की मैं रो रहा हूँ कहीं,
जब भी हो जाओ बेचैन ये मानना
खोल कर आँख में सो रहा हूँ कहीं,
टूट कर कोई केसे बिखरता यहाँ
देख लेना कोई आइना तोड़ कर;
मैं तो जब जब नदी के किनारे गया
मेरा लहरों ने तन तर बतर कर दिया,
पार हो जाऊँगा पूरी उम्मीद थी
उठती लहरों ने पर मन में डर भर दिया,
रेत पर बेठ कर जो बनाया था घर
आ गया हूँ उसे आज फिर तोड़ कर,
[शेष संकलन में]
Comments
jinka gyaan simit hai net ki duniya tak
aapko aaj padha aur jana achha laga
umeed hai ki mujhe aapki bhaut aur puri kavitaye padhne milengi
अपनी रचनाओं से हर जगह धूम मचा रहे
और सबके दिलों पर छा रहे हरदिल अज़ीज़ कवि
’डा. विष्णु सक्सेना’ जी
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.....
कभी जज़्बात पर आईयेगा
http://shahidmirza.blogspot.com/
बहुत बहुत स्वागत है आप का ,
आज तो बहुत अच्छा दिन रहा ब्लॉग जगत के लिए,
आप जैसे कवि को पढ़ना एक बहुत ही अच्छा अनुभव होता है ,सतना में आप को सुनने के बाद आज तक आप के गीत कानों में गूंज रहे हैं ,
रेत पर बेठ कर जो बनाया था घर
आ गया हूँ उसे आज फिर तोड़ कर,
बहुत सुंदर!
koyki apke geeto me to maa saarde swam virajmaan rahti hai or kisi ke kisi ke samne uski tareef nahi ki jati hai
Amit Shaw. Kolkata
Yun hi nahi apko prince of heart nahi kaha jata. Is there any books of ur poems or cd of ur poems. Pls reply. Thanks shashi
Me apki gazal,geet ka bahut shoukin hu aaj tak apne jitne gazal or geet like hain shayad hi me kio na sun paya hunga nahi to sab sune bhi hai or apne college me gaye bhi hai,
Jab se apne wah wah kya baat hai me aana shuru kiya hai apka koi bhi episode mis nahi kiya hai.....
Ye to patthar me bhi moorat ubhar dete hain,
Usme bharte hain rang or nikhar dete hain,
Itne bhole hain ye ladke ye jante hi nahi,
Ek muskaan pe jeevan guzar dete hain.......
I just want to know from where i get your books online.
As i searched a lot but didnt find any book of yours instead Lokpriyata ke shikhar geet and also purchased this one.
Please provide the leads if any :)
44th SHRI RAM KAVI SAMMELAN Me aapko live sunne ka saubhagya mila. apke muktak aur geet humesha antahsparshi hote hain..
--Shailendra Rasogi
सर मैं ये तो नही कहूँगा की मैं आपका बहुत बड़ा प्रसंशक हू बस इतना कहना चाहूँगा की मैं जब से आपके गीतो को कविताओ को सुना हर जगह से आपके कविताओ को गीतो एकत्र कर के सुनने की चाह रहती है चाहे वो "वाह वाह क्या बात है "की मंच हो या कोई कवि सम्मेलन या आपके ब्लॉग बस पता हुआ नही उसे डाऊनलोड करते है और जब कभी दिन मे फ़ुर्सत मिलता है फिर वो गुनगुनाना हो या आपके आवाज़ मे सुनना तो सुनता हू| आपकी भाषा विल्कुल सरल और सहज़ होने के वज़ह से जेहन मे जल्दी घर बना लेता है और स्वर की बात करे तो सरस्वती जी की कृपा है आप पर ...मीठा आवाज़ और ऐसा की शब्द खुद ब खुद परिभाषित हो उठते है.. मेरे बाबू जी जो एक सेवानिवरत अध्यापक है वो भी आपके प्रसंशक है वो आपके आवाज़ से पहचान लेते है और मन्त्र मुग्ध होकर सुनते है...
आपने हिन्दी कविताओ को वो पहचान दी की आज हम युवा (हॉलिवुड व बॉलीवुड के दौर के ) आकर्षित हुए..जिनसे ये प्रतीत होता है कि लोग 14 सितंबर (हिन्दी- दिवस) के अलावा और दिन हिन्दी के बारे मे बात नही करते थे लेकिन अब सुनने और पसंद करने वाले लोगो मे इज़ाफ़ा हुआ है|और मेरी खुद की भी रूचि लिखने मे है और आपसे सीखते रहते है शब्दो सही चयन और जगह क बारे मे :)
आप ऐसे ही हिन्दी के विकास मे जान डालते रहते ...
आप हमेशा स्वस्थ एवं समृद्ध बने रहे यही शुभ कामना है
आपका प्रसंशक-
विनय
और जो पहला गीत अपने सुनाया मन तुम्हारा बहुत ही सुन्दर गीत है इस गीत मे जो आपने हिंदी के शुद्ध पवित्र शब्दो का सुन्दर प्रयोग किया बहुत ही लाजवाब है
और सर एक बात आपके गीत की धुन हमेशा दिल को छू लेती है सबसे अलग धुन होती है
I LOVE U SIR JI
Om mishra lakhimpur kheri
आप सबको कुछ ना कुछ रिप्लाईजरूर किया करे इससे हम सबको और भी अच्छा लगेगा
Super hit
आपकी एक एक रचना स्वयं कहती हैं कि आप कितने महान गीतकार हैं
आरती बन के गूंजों दिशाओं में तुम आके पावन स कर दो शहर ये मेरा ।।
मेरा लहरों ने तन तर बतर कर दिया,
पार हो जाऊँगा पूरी उम्मीद थी
उठती लहरों ने पर मन में डर भर दिया,
रेत पर बेठ कर जो बनाया था घर
आ गया हूँ उसे आज फिर तोड़ कर,
इन पंक्तियों पर मेरा भी एक बंद
दर्द प्यारा लगा गम सहारा लगा ,
और कुछ भी न जग में हमारा लगा।
मुफलिसी में रही डूबती जिंदगी,
न ही मंजिल मिली न किनारा लगा।