मुक्तक - रक्षा बंधन

आज  फीकी  है  पर्वों  की  रंगत बहुत, 
हर  दिशा  से गिरी जैसे  आफत  बहुत, 
किन्तु राखी की डोरी को आंको न कम 
प्यार  के  एक   धागे  में  ताकत  बहुत,

Comments

Rishabh Shukla said…
सुन्दर प्रस्तुति

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