अमेरिका के संस्मरण--2011.....(यारों के यार, अशोक कुमार.....)


डलास- टेक्सास--

मोदी नगर, गाज़ियाबाद निवासी अशोक कुमार जी पिछले 35 वर्षों से अमेरिका के टेक्सास प्रांत के डलास शहर में रह रहे हैं। बाहरी बनावट देख कर उनके व्यक्तित्व और उनकी सहजता का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। उनका मस्त स्वभाव, फक्कड़ पहनावा, लापरवाह रहन-सहन उनके वीत रागी होने का परिचायक है। जब हँसेगे तो खुलकर हँसेगे, जब हँसायेंगे तो जीभर के हँसायेंगे। विलक्षण स्मरण शक्ति के धनी, पूरे अमेरिका की भोगोलिक जानकारी के लिये इंसैक्लोपीडिया कहे जाने वाले अशोक कुमार जी हृदय से बडे भले भी हैं। कवियों की मदद करने में सबसे आगे रहते हैं। सुरेन्द्र सुकुमार बताते हैं कि अमेरिका में मेरी आमदनी कराने के लिये मेरी केसिटों की अनेकों कोपी कराके काव्य प्रेमियों तक पहुँचाई। ऐसे उदारमना अशोक जी को हिन्दी काव्य जगत के सभी प्रसिद्ध कवि अच्छी तरह जानते हैं।

मेरी जान पहचान 1996 से है, जब मैं पहली बार अशोक चक्रधर और प्रदीप चौबे के साथ अमेरिका गया था। फिर दूसरी और तीसरी बार उनके ही द्वारा संयोजित कविसम्मेलनों मे गया। उन दिनों अशोक जी को बहुत नज़दीक से देखने का मौका मिला। तब वो एक छोटे से एपार्ट्मेंट में रहा करते थे। पारिवारिक परिस्थितियों से निरंतर जूझते हुये भी हमेशा मस्त दिखाई दिये। मैं इन्हें तब से ही बड़े भाई का दर्ज़ा देता हूँ। जिसको दिल से अपना मान लिया उसके लिये सर्वस्व लुटाने को आतुर रहने वाला यह शख्स आज भी कवि मित्रों को लम्बी ड्राइव करके लाने ले जाने का शौकीन है। बिना किसी स्वार्थ के कवियों की हर प्रकार की सेवा करने में इन्हें मज़ा आता है।

कडी मेहनत करके एक-एक पैसा जोडकर आज एक आलीशान घर में अपनी नई पत्नी श्रीमती ज्योति अरोरा के साथ अपना पारिवारिक सुखमय जीवन जी रहे हैं। भगवान इस परिवार को किसी की नज़र न लगाए, मेरी अनंत शुभकामनायें.......

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