लोक डाउन-3/ 9 मई 2020

9 मई 2020
 • सुप्रभात।
 •  कल एक दुखद हादसा श्रमिकों के साथ हो गया। यूँ तो हर राज्य से श्रमिकों के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं, लेकिन शायद कुछ श्रमिकों को इस बात की जानकारी नहीं थी इसलिए वह अपने गांव को पहुँचने की जल्दी में पैदल ही निकल लिए। इसके लिए उन्होंने रेलवे ट्रैक के सहारे चलना ही सबसे उपयुक्त समझा। शाम ढली, शरीर की थकान ने उन्हें वहीं सोने पर मजबूर कर दिया। 16 मजदूर रेलवे ट्रैक पर ही सो गए। उन्होंने यह तो पता था कि लोक डाउन में रेलगाड़ियों का संचालन बंद है, लेकिन यह नहीं मालूम था कि माल गाड़ियां चलना बंद नहीं हुआ है। थकान भरी नींद इतनी गहरी थी कि रेलवे ट्रैक पर आ रही मालगाड़ी का शोर और उसका हॉर्न भी वह नहीं सुन सके और एक पल भर में ही 16 मजदूरों के परखच्चे उड़ गए। यह हादसा महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास हुआ। सभी मजदूर जालना शहर की एक की फैक्ट्री में काम करते थे। करीब 36 किलोमीटर पैदल चलने के बाद औरंगाबाद जिले में बदनापुर एवं करमाड स्टेशन के बीच का यह हादसा हुआ। सभी मजदूर शहडोल उमरिया जिले के थे।
 •  इसे कहते हैं राजस्थान की मिट्टी का स्वाभिमान। आज के दौर में जब बेशर्मी और बेईमानी पुरुषार्थ का पैरामीटर बन गए हैं तब स्वाभिमान की है अविश्वसनीय झलक राजस्थान के सिरोही और जालौर जिले के आदिवासियों के चेहरे पर स्पष्ट दिखती है। प्रशासन भी भौंचक है। यह गरीब आदिवासी राशन नहीं ले रहे हैं। यह कह रहे हैं कि राशन तभी लेंगे जब प्रशासन हमें काम दे। प्रशासन मनाने में जुटा है, कह रहा है कर्ज समझकर स्वीकार लें बदले का काम हम बाद में दे देंगे। लेकिन बात बन नहीं रही।
 •  आज कर कोरोना मीटर पर नजर डालें तो दोपहर 12:00 बजे तक कुल संक्रमित केस 4014265 हो गए हैं, 276236 लोग मर चुके हैं तथा 1385559 लोग स्वस्थ हो गए हैं।

अमेरिका में कुल संक्रमित केस 1322154 हो चुके हैं 78616 लोग मर चुके हैं तथा 223749 लोग स्वस्थ हो गए हैं।

भारत में कुल संक्रमितों की संख्या 59662 हो गई है, 1981 लोग मर चुके हैं तथा 185559 लोग स्वस्थ हो गए। 
महाराष्ट्र में यह त्रासदी पैर पसार की ही जा रही है यहाँ 19063 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं, 731 लोग मर चुके हैं तथा 3470 लोग ठीक हो गए हैं। 
उत्तर प्रदेश में कुल केस 3214 हैं, 66 लोग मर चुके हैं तथा 1387 लोग ठीक हो गए हैं। आगरा में अब तक 706 केस हो चुके हैं।
 •  कोरोना बीमारी से मरने के अलावा भी इस लोक डाउन काल में 338 लोगों की जान चली गयी है। एक शोध के अनुसार 19 मार्च से लेकर 2 मई के बीच इतनी जानें गईं हैं। 
--आंकड़े बताते हैं कि 80 लोगों ने अकेलेपन से घबराकर और संक्रमित पाए जाने के भय से खुदकुशी कर ली.
--इसके बाद मरने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा है प्रवासी मजदूरों का। बंद के दौरान जब यह अपने घरों को लौट रहे थे तो विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं में 51 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई.
--विडाल सिम्टम्स (यानी शराब नहीं मिलने) से 45 लोगों की मौत हो गई और भूख एवं आर्थिक तंगी से 36 लोगों की जान चली गई।
 •  जैसा स्वाभिमान राजस्थान के आदिवासियों का है वैसे ही आमतौर पर मध्यम वर्गीय व्यक्तियों का होता है एक नया अंदाज़ देखिए--
 • #मदद_करने_का_अनोखा_अंदाज़

मुहल्ले में बच्चों को पढ़ाने वाली अम्माजी के घर आटा और सब्जी नहीं है मगर वह सादगी से रहने वाली महिला बाहर आकर मुफ़्त राशन वाली लाइन में लगने से घबरा रही है।

फ्री राशन वितरण करने वाले युवाओं को जैसे ही यह बात पता चली उन्होंने जरूरतमंदों में फ्री आटा व सब्जी बांटना रोक दिया
पढ़े लिखे युवा थे आपस में राय व मशवरा करने लगे बातचीत में तय हुआ कि न जाने कितने मध्यवर्ग के लोग अपनी आंखों में ज़रूरत का प्याला लिए फ़्री राशन की लाइन को देखते हैं 
पर अपने आत्मसम्मान के कारण करीब नहीं आते।
राय व मशवरा के बाद उन्होंने फ़्री राशन वितरण का 
बोर्ड बदल दिया और दूसरा बोर्ड लगा दिया-

जिस में लिखा था कि #स्पेशल_ऑफ़र:-
हर प्रकार की सब्जी 15 रूपए किलो, मसाला फ़्री, 
आटा- चावल-दाल 15 रूपए किलो।

एलान देख कर भिखारियों की भीड़ छंट गई और मध्यवर्गीय परिवार के मजबूर लोग हाथ में दस बीस पचास रूपए पकड़े ख़रीदारी की लाईन में लग गए, अब उन्हें इत्मीनान था कि आत्मसम्मान को ठेस लगने वाली बात नहीं थी।

इसी लाइन में बच्चों को पढाने वाली अम्माजी भी अपने हाथ में मामूली रकम लेकर घूँघट के साथ खड़ी थीं उनकी आंखें भीगी हुई थी पर घबराहट ना थी। उनकी बारी आई सामान लिया पैसे दिए और इत्मीनान के साथ घर वापस आ गईं, 
सामान खोला तो देखा कि जो पैसे उन्होंने ख़रीदारी के लिए दिए थे वह पूरे के पूरे उनके सामान में मौजूद हैं। 

युवाओं ने उनके पैसे वापस उस समान के थैले में डाल दिए थे

युवक हर ख़रीदार के साथ यही कर रहे थे यह सच है कि 
ज्ञान व व्यवहार बदतमीजी और दिखावे पर भारी है।

मदद किजिए पर किसी के आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचाइए ज़रूरतमंद सफ़ेद बाल वालों का ख़्याल रखिए 
इज़्ज़तदार मजबूरों का आदर किजिए।
(एक वाट्सअप ग्रुप से साभार)

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