लोक डाउन-3/ 10 मई 2020
10 मई 2020
• सुप्रभात।
• आज सुबह से ही मौसम बहुत सुहावना हो रहा है। बादल छाए हुए हैं। ठंडी हवाएं चल रही हैं। शायद कहीं बारिश हो रही है।
आज दोपहर 12:30 बजे तक का कोरोना मीटर इस प्रकार है-
पूरे विश्व में अब तक कुल संक्रमितों की संख्या 4101973 हो चुकी है, 280451 लोगों की मृत्यु हो गई है तथा 1441866 लोग स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं।
अमेरिका में 1347309 लोग अब तक संक्रमित हो चुके हैं, 80037 लोग मर चुके हैं तथा 238078 लोग ठीक हो चुके हैं।
भारत में अब तक 62939 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं, 2109 लोगों की मृत्यु हो चुकी है तथा 19357 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
महाराष्ट्र की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है यहाँ 20228 कुल संक्रमितों का आंकड़ा हो चुका है, 779 लोगों की मौत हो चुकी है और 3800 लोग ठीक हो चुके हैं।
उत्तर प्रदेश में अब तक 3373 संक्रमित लोग पाए जा चुके हैं, 74 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और 1499 लोग ठीक हो चुके हैं। आगरा में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 745 पहुँच गई है। कल अलीगढ़ में एक महिला की कोरोना के कारण मृत्यु हो गई लेकिन इसके साथ ही 2 केस और बढ़ गए।
• व्हाट्सएप विश्वविद्यालय और फेसबुक पर पड़ने वाली पोस्टें इतनी फर्जी हो गई है कि अब सोशल मीडिया से विश्वास उठता जा रहा है। पिछले कई दिनों से यह अफवाह तैरने लगी कि गृह मंत्री श्री अमित शाह गंभीर रूप से बीमार हैं।कल बेचारे अमित शाह को मीडिया के सामने आकर बयान देना ही पड़ा कि मैं बिल्कुल बीमार नहीं हूँ, पूरी तरह से फिट हूँ।
• जब तक वैक्सीन नहीं बन पा रही है तब तक 'रिपर पजिंग' दवाएं ही कोरोना को दूर करेंगी। जो दवाएं किसी अन्य रोग के इलाज के लिए बनाई गई, लेकिन बाद में अन्य रोगों के इलाज में इस्तेमाल की जाने लगी उन्हें 'रिपर पजिंग' दवाई कहा जाता है। एस्प्रिन इसका बेहतरीन उदाहरण है। जो आज कई रोगों के इलाज में काम आ रही है क्योंकि वह वैक्सीन के विकास और निर्माण में काफी समय लगता है इसके ह्यूमन ट्राइल ही तीन स्तर पर होते हैं, जिसमें कम से कम डेढ़ साल का समय लग जाता है। फिर निर्माण ढांचा बनाना होता है। कोरोना वैक्सीन की तो अरबों डोज बनानी होंगीं। ऐसे में इसे दुनिया में पहुंचने में ही दो-तीन साल का समय लग सकता है। कोरोना की किसी भी वैक्सीन को तीन स्तर पर काम करना होगा-
--कोरोना वायरस को कोशिका में घुसने से रोकना,
--कोशिका में यह दवाई घुसने में कामयाब रहे तो उसे बढ़ने से रोकना,
--संक्रमण के कारण ऊतकों को क्षति पहुंचने से बचाना.
विशेषज्ञों ने साफ कर दिया है कि वैक्सीन की डोज लगते ही कोई भी व्यक्ति कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो जाएगा। इसे काम करने में समय लगेगा।
• इस कोरोना के संकट ने धनाढ्य देशों की स्थिति कंगालों जैसी कर दी है। अमेरिका में 10 साल में 2.28 करोड़ नौकरियां मिली लेकिन कोरोना ने एक महीने में ही 2.05 करोड़ नौकरियां छीन लीं। इसमें सबसे अधिक छंटनी महिलाओं की हुई। मैन्युफैक्चरिंग में 13 लाख, निर्माण में 9.75 लाख, कपड़ा स्टोर में 7.40 लाख, मोशन पिक्चर्स में 2.1 7 लाख, कंप्यूटर डिजाइन में 93 हजार, ला फर्म में 64 हजार, ट्रक परिवहन में 88 हजार, सरकारी नौकरियां 8.01 लाख तथा अस्पताल क्लीनिक में 14 लाख नौकरियों से लोगों को हाथ धोना पड़ा है।
• आज मदर्स डे है। बच्चों का अपनी माँ के प्रति आदर भाव के प्रदर्शन का दिन। आज के दिन जहाँ सब अपनी अपनी माँओं को विश कर रहे हैं ऐसे में मुझे अपनी दिवंगत माँ की याद आना स्वाभाविक है। आज मेरी एक कविता का अंश देखिए--
ज़िदगी बिन तुम्हारे कहाँ जिंदगी
खुशनुमा जिंदगी कि तुम्ही आस हो।
मेरा दिल हो तुम्हीं उसकी धड़कन तुम्हीं जिस्म में आती जाती हुई साँस हो।
अब न मंदिर न मस्जिद सुहाता मुझे
पास तुम हो तो प्रभु की ज़रूरत नहीं,
बस तुम्हें देख कर काम सब हों शुरू तुमसे अच्छा है कोई मुहूरत नहीं,
तुम ना होतीं तो जग देख पाता न माँ-
हर समय तुम मेरे आस ही पास हो
ज़िंदगी...
श्री घनश्याम अग्रवाल की ये कविता भी बहुत ही प्रासंगिक है--
बच्चा जिस दिन पैदा होता है, पिता, उस दिन पिता बनता है ।
लेकिन माँ, उसी दिन माँ बन जाती है, जिस दिन बच्चा गर्भ धारण करता है ।
इस हिसाब से माँ, पिता से 9 महीने सीनियर होती है ।
आज " मदर्स डे " पर सीनियर माँओं को ज्युनिअर बेटों का प्रणाम ।
( पिताओं को भी )
" एक सच ये भी "
" पहले इतनी अच्छी नौकरी
फिर सुंदर बीबी. . उसके बाद
इतनी धन-दौलत, मान-सम्मान।
इन सबका श्रेय मै अपनी माँ को देता हूँ। जिसने इस नौकरी के लिए इंटरव्यू में जाते वक्त मुझे आशीष दिया, मेरे लिए दुआएं की।"
" ऐसी बात है तो बधाई,
पर एक बात बता मेरे भाई
जिन्हें ये नौकरी नहीं मिली,
उनकी माँओं ने उन्हें कौन-सी बद् दुआ दी थी ? "
आज " मदर्स डे " पर मैं सफल बेटों की मांओं के साथ-साथ असफल बेटों की मांओं को भी प्रणाम करता हूँ। "
एक जोक देखिए--
जिंदगी टमाटर सी हो गई है। पहले ग्रीन थे, फिर ऑरेंज हुए, और अब रेड जोन में आ गए हैं.... लगता है बस तब चटनी बनना ही बचा है।
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